नवनिर्माण पर कविता – विनोद सिल्ला
नवनिर्माण पर कविता पत्थरों और ईंटों मेंहुआ मुकाबलामची होड़एक-दूसरे कोमुंहतोड़ जवाब देने की पत्थर से ईंटईंट से पत्थर खूब टकराएटूटी ईंटेंक्षतिग्रस्त हुए पत्थर हो जाता मुकाबलादोनों मेंकौन करेगासुंदर नवनिर्माण तब मुकाबले के साथ-साथ हो जाती राह प्रशस्त नवनिर्माण की बन…


