शोकहर/सुभांगी छंद में कविता

शोकहर/सुभांगी छंद में कविता ~ *शोकहर/सुभांगी छंद* ~ *विधान- 8,8,8,6* *तुकांत- पहली दूसरी यति अंत तुकांत* *चरण- चार चरण सम तुकांत* नंद दुलारे जन जन प्यारे, हे गोपाला, ध्यान धरो। हे कमलनयन हे मनमोहन नाथ द्वारिका कृपा करो। अजया अच्युत…

सागर पर हिंदी कविता – सुकमोती चौहान रुचि

सागर पर हिंदी कविता सागर गहरा ज्ञान सा, बड़ा वृहद आकार |कौन भला नापे इसे, डूबा ले संसार |डूबा ले संसार, नहीं सीमा है कोई |कहलाये रत्नेश, यही कंचन की लोई |कहती रुचि यह बात , यही मस्ती का आगर…

किसे पता है कल क्या होगा – बाबूराम सिंह

किसे पता है कल क्या होगा निज स्वार्थ में बल क्या होगा?कभी किसीका भल क्या होगा?वर्तमान का सदुपयोग कर- आज नहीं तो कल क्या होगा? एकता बिन मनोबल क्या होगा?साहस बिन सम्बल क्या होगा?पीर पराई बिन दुनीयां में-सोचो अश्रु जल…

मातृ दिवस पर हिंदी कविता (Martee Divas Par Kavita )

मातृ दिवस पर हिंदी कविता (Martee Divas Par Kavita) : मातृपितृ पूजा दिवस भारत देश त्योहारों का देश है भारत में गणेश उत्सव, होली, दिवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, नवदुर्गा त्योहार मनाये जाते हैं। कुछ वर्षों पूर्व मातृ पितृ पूजा दिवस प्रकाश में आया। आज…

कृष्ण कन्हैया – डॉ एन के सेठी

कृष्ण कन्हैया आए हैं कृष्ण कन्हैयाहर्षित हैं बाबा मैयाधूम मची चहुँ ओरखुशियां मनाइए।। आए है तारणहारहोगा दुर्जन संहारस्वागत करें मिलकेघर में बुलाइए।। बादल बरस रहेकालिंदी भी खूब बहेआए हैं दुख मिटानेगुणगान गाइए।। हुई ब्रजभूमि धन्यउनसा न कोई अन्यसौम्य सुंदर रूप…

जन्माष्टमी पर दोहे -मदन सिंह शेखावत

goverdhan shri krishna

जन्माष्टमी पर दोहे भादौ मास अष्ठम तिथि , प्रकटे कृष्ण मुरार।प्रहरी सब अचेत हुए , जेल गये खुल द्वार।।1 जमुना जी उफान करे, पैर छुआ कर शान्त।वासुदेव धर टोकरी , नन्द राज के कान्त।।2 कंस बङा व्याकुल हुआ,ढूढे अष्ठम बाल।नगर…

हो नहीं सकती – बाबुराम सिंह

हो नहीं सकती शुचिता सच्चाई से बड़ा कोई तप नहीं दूजा,सत्संग बिना मन की सफाई हो नहीं सकती। नर जीवन जबतक पुरा निःस्वार्थ नहीं बनता,तबतक सही किसीकी भलाई हो नहीं सकती। अन्दर से जाग भाग सदा पाप दुराचार से,सदज्ञान बिन…

सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि

सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि सर्द हवाएँ हृदय समाये, तन मन महका जाये |आ कानों में कुछ कहती है, मधुरिम भाव जगाये | हमको तुम कल शाम मिले थे, पसरी थी खामोशी |भाव अनेकों उमड़ पड़े थे, लब पर…

कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह

कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह फूस की झोपड़ी तले बैठकर।चाक को घुमाता है वो दिनभर। खुदरे हुए हाथों से गुंदकेमाटी के वो बनाता है मटकेतड़के कलेवा करने के बादलगा रहता है वो फिर दिन- रातस्वयं धूॅंप में नित प्रति…

हलषष्ठी पर हिंदी कविता – नीरामणी श्रीवास नियति

हलषष्ठी पर हिंदी कविता आयी हलषष्ठी शुभम , माँ का यह व्रत खास ।अपने बच्चों के लिए , रखती है उपवास ।।रखती है उपवास , करे सगरी की पूजा ।बिना चले हल भोज्य , नहीं करते है दूजा ।।नियति कहे…

चिकित्सक/ डाक्टर दिवस पर हिंदी कविता

चिकित्सक/ डाक्टर दिवस पर हिंदी कविता चिकित्सक हिय में सेवा भावना, नहीं किसी से बैर।स्वास्थ्य सभी का ठीक हो, त्याग दिए सुख सैर।।नित्य चिकित्सक कर्म रत, करे नहीं आराम।लड़ते अंतिम श्वांस तक,चाहे सबकी खैर।। कठिन परीक्षा पास कर, बने चिकित्सक देख।धरती…