मित्रता पर दोहे – गोपाल ‘सौम्य सरल

यहां पर *गोपाल 'सौम्य सरल' द्वारा रचित सच्ची मित्रता को समर्पित एक रचना प्रस्तुत है।

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह

यहां पर *गोपाल 'सौम्य सरल' द्वारा रचित सच्ची मित्रता को समर्पित एक रचना प्रस्तुत है।

यहां पर आदरणीय मदन सिंह शेखावत द्वारा रचित मेहनत पर दोहे का संकलन किया गया है।

रक्षा बन्धन एक महत्वपूर्ण पर्व है। श्रावण पूर्णिमा के दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह ‘रक्षासूत्र’ मात्र धागे का एक टुकड़ा नहीं होता है, बल्कि इसकी महिमा अपरम्पार होती है। कहा जाता है कि एक बार…
सृष्टि कुमारी की कवितायेँ आज की नारी मैं आज की नारी हूं, इतिहास रचाने वाली हूं,पढ़ जिसे गर्व महसूस करे वो इतिहास बनाने वाली हूं।नारी हूं आज की, खुले आसमान में उड़ना चाहती हूं मैं,बांध अपने जिम्मेदारियों का जुड़ा, अपने…

आगे आगे तीजा तिहार आगे – मनीभाई नवरत्न ऐ दीदी ओ, ऐ बहिनी ओ।आगे आगे तीजा तिहार आगे।। सावन भादों सुख के देवय्या।झमाझम बादर चले पुरवय्या।।डारा पाना ह सबो हरियागे।आगे आगे तीजा तिहार आगे।। झूलेना बने हे सुग्घर पटनी।धरे रहव…

बछ बारस पर कविता – दोहा छंद बछ बारस सम्मानिए, गौ बछड़े की मात।मिटे पाप संताप तन, दैव प्रमाणित बात।। पावस सावन में मनें, बछ बारस का पर्व।गौ सेवा कर नर मिले, मेवा मंगल गर्व।। भिगो मोठ को लीजिए, उत्तम…

आ.मुंशी प्रेमचंद्र जी के सम्मान म़े सादर समर्पित मुंशी प्रेमचंद्र जी के सम्मान में दोहा छंद प्रेम चन्द साहित्य में , भारत की त़सवीर।निर्धन,दीन अनाथ की,लिखी किसानी पीर।। सामाजिकी विडंबना , फैली रीति कुरीति।चली सर्व हित लेखनी, रची न झूठी…
तीज पर कविता – चौपाई छंद _बाबूलालशर्मा,विज्ञ_ वर्षा ऋतु सावन सुखदाई।रिमझिम मेघ संग पुरवाई।।मेह अमा हरियाली लाए।तीज पर्व झूले हरषाए।। झूले पटली तरुवर डाली।नेह डोर सखियाँ दे ताली।।लगे मेंहदी मने सिँजारा।घेवर संग लहरिया प्यारा।। झूला झूले नारि कुमारी।गाए गीत नाचती…
नागपंचमी पर हिन्दी कविता गीत- उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट नाग पंचमी के अवसर पर, नागों का पूजन कर आएँआस्तीन में नाग छिपे जो, उनसे तो भगवान बचाएँ। मानवता का ओढ़ लबादा, सेवा का जो ढोंग कर रहेजिसको चाहें डस लेते वे,…
नाग पंचमी पर कविता – अमृता प्रीतम मेरा बदन एक पुराना पेड़ है…और तेरा इश्क़ नागवंशी –युगों से मेरे पेड़ कीएक खोह में रहता है। नागों का बसेरा ही पेड़ों का सच हैनहीं तो ये टहनियाँ और बौर-पत्ते –देह का…

संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस पर कविता जन्म जनवरी दस को इक दिन,राष्ट्र संघ बन जाता है।शांति राह में चलने को ही,अपना कदम बढाता है।। विश्वयुद्ध भड़काने वाले,लालच रख कर डोले थे।साम्राज्य बढ़ाने उत्साहित,दुनिया से भी बोले थे।। गुप्त संधि करके…
मोर दंता ओ शिरी – तोषण चुरेन्द्र मोर दंता ओ शिरी… आरती तोर उतारँवगंगा के पानी धरके ओ दाई तोर चरन ला पखारँवमोर दंता ओ शिरी….. दंतेवाड़ा मा बइठे ओ दाई दंताशिरी सुहायेबड़ सिधवा हम तोरे लइका महतारी तिही कहायेनरिहर…