अश्रु नीर नयन के – हेमलता भारद्वाज डॉली

अश्रु नीर नयन के अश्रु नयन के सूख गए अब ,छोड़ दिया है हमने क्योंकि ,सोचना ज्यादा अब l*बचपन में रोए बहुत ,रो-रो कर भरे नयन ।दूर की सोच बनाते थे जब,देता नहीं था साथ कोई तब,हर तरफ से डांट…

गुरू पूर्णिमा पर कविता -तोषण चुरेन्द्र दिनकर

गुरू पूर्णिमा पर कविता नित्य करें हम साधना,रखें हृदय के पास।ज्ञान रुपी आशीष से,जीवन हो मधुमास।।१।। गुरुवर की पूजा करें,गुरु ही देते ज्ञान।जिनके ही आशीष से,मिले अचल सम्मान।।२।। गुरू नाम ही साधना,साधक बनकर साध।जिनके सुमिरण से सदा,कटे कोटि अपराध।।३।। बनकर…

गुरु वंदना – डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर

गुरु वंदना नित्य करूँ मैं वंदना, गुरुवर को कर जोर।पाऊँ चरणों में जगह , होकर भाव विभोर।। मात-पिता भगवान हैं, करना वंदन रोज।इन देवों को छोड़कर, करते हो क्या खोज? जिनके आशीर्वाद से , हुआ सफल हर काम।करता हूँ नित…

गुरुवर – सुकमोती चौहान रुचि

महर्षि वेद व्यासजी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को ही हुआ था, इसलिए भारत के सब लोग इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। जैसे ज्ञान सागर के रचयिता व्यास जी जैसे विद्वान् और ज्ञानी कहाँ मिलते…

अटल कश्यप की हिन्दी कवितायेँ

अटल कश्यप की हिन्दी कवितायेँ सैक्स-वर्कर चश्मा इंसानियत का चढ़ाकरएक सैक्स-वर्कर को टटोला था,छल्ले धुँए के उड़ाते और हलक से शराब के घूँट उतारते अपने दर्द को मेरे सामने उड़ेला था,पसीजा था मेरा कलेजा भीउसकी कहानी सुनकरमजबूरियों ने उसेदलदल में…

प्रेम भाव पर हिंदी कविता -डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर

प्रेम भाव पर हिंदी कविता शांत सरोवर में सदा , खिलते सुख के फूल।क्रोध जलन से कब बना,जीवन यह अनुकूल।। मानवता के भाव का,समझ गया जो मर्म।उनके पावन कर्म से , रहता दूर अधर्म।। मन में हो विश्वास जब,जीवन बनता…

नीलम नारंग की कवितायेँ

नीलम नारंग की कवितायेँ दवा बन जा ले दर्द सारे किसी के लिए दवा बन जालेकर गम बस उसीका हमनवाँ बन जा सुन किसी के दिल की बात शिद्दत सेप्यार से समझा और राजदाँ बन जा काम आ दूसरों के…

दवा बन जा-नीलम नारंग

दवा बन जा ले दर्द सारे किसी के लिए दवा बन जा लेकर गम बस उसीका हमनवाँ बन जा सुन किसी के दिल की बात शिद्दत सेप्यार से समझा और राजदाँ बन जा काम आ दूसरों के सोच गम की…

क्रान्ति की राह पर -प्रकाश गुप्ता हमसफ़र

*” क्रान्ति की राह पर ”**- – – – – – – – – – – – – -* हमारे ज़िस्म कोबोटी-बोटी काट करहमारी ज़िन्दा रूह कीचीखों को निकालकरहमारे ख़ौलते खून कोऔर ज़रा उबालकरहमारे भीतर केइंसान को भी मारकरतुम बाँट…

संस्कारों का आधुनिकीकरण- पद्ममुख पंडा महापल्ली

“संस्कारों का आधुनिकीकरण” बचपन से ही है मेरी नजरसमाज के रहन सहन परखान पान;जीवन शैलीसंस्कारों की है जो धरोहर अपनी संस्कृति है ऐसीसुंदर और मनोहरजो यह कहती हैसंपूर्ण विश्व है अपना घर भारतीय परंपरा मेंसुबह चरण स्पर्श करबच्चे पाठशाला जातेमात…

मेरा गाँव – एस के नीरज

village based Poem

*मेरा गाँव* तपती दुपहरी सूनी सड़कें पेड़ की छाँवयाद आया गाँवगाँव की गलियाँपनघट पर पानी भरती वो छोरियाँलड़कों की टोली तालाब में लोटतेभैंसों की पीठ पर करते हुए सवारी कागज की वो नाँववाह मेरा गाँवयाद आता है ….! सील बट्टे…

विश्व रिकार्ड के मायने –राजकुमार मसखरे

विश्व रिकार्ड के मायने कोई गीत गा करकोई साज बजा करकोई नृत्य करा करकोई लाखो दीप सजा करकोई ऊँचा रावण जला करकोई कुछ कविता बना करकोई गाड़ी फर्राटे चला कर !अरे मुझे ये तो बताओये विश्व रिकार्ड बना करसमाज को…