मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ-उपमेंद्र सक्सेना

मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ जिससे अपना मतलब निकला, क्यों मैं उसके लात लगाऊँदुनिया का सिद्धांत अनोखा, मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ। मगरमच्छ के आँसू गिरते, जब वह सुख से भोजन करताबगुला भगत यहाँ पर देखो,अपनों पर यों कभी न मरता जिस…

अब तो भर्ती-विनोद सिल्ला

अब तो भर्ती अब तो भर्ती खोलिए, बहुत हुआ सरकार। पढ़-लिखकर हैं घूमते, युवा सभी बेकार।। नयी-नयी नित नीतियां, सत्ता ने दी थोप।रोजगार की खोज में, चले युवा यूरोप।। जितना जो भी है पढ़ा, दे दो वैसा काम।वित पोषण हो…

खुशनसीब -माधुरी डड़सेना मुदिता

खुशनसीब मैं खुशनसीब हूँ कि मुझे यार मिल गया दिल को बड़ा सकूं है दिलदार मिल गया । दर दर भटक रहे थे कभी हम यहाँ वहाँअब डर नहीं किसी से सरकार मिल गया । हमराज बन गए हैं दिन…

आओ गिलहरी बनें -डाॅ.संजय जी मालपाणी

आओ गिलहरी बनें सागर पर जब सेतु बना था, गिलहरी ने क्या काम किया था जहां-जहां भी दरार रहती, उसने उसको मिटा दिया था वैसे तो वह छोटी सी थी, राम कार्य में समर्पित थी रेती उठाकर चल पड़ती थी,…

राजनीति बना व्यापार जी – राजकुमार मसखरे

राजनीति बना व्यापार जी देखो आज इस राजनीति ककैसे बना गया ये व्यापार जी ,लोक-सेवक अब गायब जो हैंमिला बड़ा उन्हें रोज़गार जी !राजनीति अब स्वार्थ- नीति हैकर रहे अपनों का उपकार जी,कुर्सी में चिपके रहने की लतबस एक ही…

गुलबहार -माधुरी डड़सेना

गुलबहार होश में हमीं नहीं सनम कभी पुकार अबहो तुम्हीं निगाह में हमें ज़रा निहार अब । वक़्त की फुहार है ये रोज़ की ही बात है दिल मचल के कह रहा मुझे तुम्हीं से प्यार अब। खिल उठा गुलाब…

नशा नाश करके रहे- विनोद सिल्ला

यहां पर नशा नाश करके रहे , जो कि नशा मुक्ति पर लिखी गई विनोद सिल्ला की कविता है। नशा नाश करके रहे नशा नाश करके रहे,नहीं उबरता कोय।दूर नशे से जो रहे, पावन जीवन होय।। नशा करे हो गत…

प्लास्टिक मुक्त दिवस पर दोहे-अंचल

doha sangrah

आज प्लास्टिक ने हमारे पर्यावरण के लिए बहुत खतरा पैदा कर दिया है। तो जनजागृति हेतु यहां पर प्लास्टिक मुक्त दिवस पर दोहे दिया गया है प्लास्टिक मुक्त दिवस पर दोहे पन्नी की उपयोगिता,करें बन्द तत्काल।खतरा जीवन के लिए,जीना करे…

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया ‘छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया’ये नारा बड़ अच्छा लगथे!ये नारा बनइया के मन भरमोर पैलगी करे के मन करथे !! जब छत्तीसगढ़िया मन..गुजराती लॉज/राजस्थानी लॉज म रुकथेहरियाणा जलेबी,बंगाली चाय के बड़ाई करथे बड़ अच्छा लगथे .!! जब छत्तीसगढ़िया मन.अपन…

दारू विषय पर कविता

दारू विषय पर कविता दारू पिये ल झन जाबे समारूदारू पिये ल झन जाबे,,,,गली-गली जूता खाबे समारू दारू पिये ल झन जाबे ,,,,! नाली म परे,माछी ह झूमेमुँहू तैं फारे,कुकुर ह चूमेअब सुसु बर होगे *उतारू* समारूदारू पिये ल झन…

औरत पर कविता -हरभगवान चावला

औरत पर कविता औरत को थोड़ा सुख मिलतातो चेहरे पर झलक जातादुख का उसके चेहरे सेबहुत देर तकपता ही नहीं चलता थासबको खिलाने के बादजो बचता, वो खातीऔर सुखी हो जातीसुखी गृहस्थी का यह सुखउसने छुटपन मेंगुड्डे गुड़ियों के ब्याह…

भाई पर दोहे / विनोद सिल्ला

doha sangrah

विनोद सिल्ला के दोहे भाईचारे की अनमोल भावना को व्यक्त करते हैं। ये दोहे पाठकों को रिश्तों के महत्व को समझने और उन्हें सहेजने की प्रेरणा देते हैं। भाई के प्रति सच्चे प्रेम और सम्मान की भावना को व्यक्त करते…