हर पल उत्सव सा मनालें

हर पल उत्सव सा मनालें – केवरा यदु “मीरा “ जिंदगी चार दिन की  चलो गीत गालें ।हँस लें हम खुद औरों  को भी हँसालें ।चाहें तो जिन्दगी को हम इस तरह सजालें ।हर दिन दिवाली होली उत्सव मनालें । न बेरंग जीवन  हो संग मिलकर संवारें ।रहें हरपल मगन छूटे हँसी के फव्वारें।न हो … Read more

सच में लिपटा झूठ

सच में लिपटा झूठ सच में लिपटा झूठ,सरासर बिकते देखा!कलुषित कर्म को, धवल सूट में सजते देखा!लीपापोती सब जग होती,कुलटा नार हाथ ले ज्योती!खसम मार वो निज हाथों से’सती सावित्री बनते देखा!सचमें लिपटा झूठ,सरासर  बिकते देखा!!…..(१)बाजारों का हाल बुरा है।हाट हाट में ये पसरा है।मीठी बातों से जनता को,व्यापारी से ठगते देखा!सचमें लिपटा झूठ,सरासर  बिकते … Read more

भावना और भगवान

भावना और भगवान .              यदि सच्ची हो भावना,मिल जाते भगवान।जग में सच्चे बहुत हैं,अच्छे दिल इंसान।।देश हमारे हैं बहुत, दाता अरु धन वान।संसकारों संग भरा,प्यारा  हिंदुस्तान।।मुझे गर्व है शान है,मेरा देश महान।,जल,थल संग वायु चले,आज हमारे यान।।जिसमें बैठे गगन को, छू जाए संतान।नव पीढी को मैं भले, देऊँ ऐसा ज्ञान।।पारस्परिक विचार को,करते सदा प्रणाम।उन्नत नित … Read more

राष्ट्रवाद पर कविता

राष्ट्रवाद पर कविता बाँध पाया कौन अब तक सिंधु के उद्गार को।अब न बैरी सह सकेगा सैन्य शक्ति प्रहार को।1तोड़ डालें सर्व बंधन जब करे गुस्ताखियाँ।झेल पायेगा पड़ोसी शूरता के ज्वार को।2कांपता अंतःकरण से यद्यपि बघारे शेखियाँ।छोड़ रण को भागने खोजा करे अब द्वार को।3मानसिकता में कलुष है छल प्रपंचों में जुटा।कूटनीतिक योग्यता से अवसर … Read more

बसंत  की  बहार में

बसंत  की  बहार में बसंत दूत कोकिला, विनीत मिष्ठ बोलती।बखान रीत गीत से, बसंत गात  डोलती। बसंत  की  बहार में, उमा महेश साथ  में।बजाय कान्ह बाँसुरी,विशेष चाल हाथ में। दिनेश  छाँव  ढूँढते , सुरेश  स्वर्ग  वासते।सुरंग  पेड़  धारते, प्रसून  काम    सालते। कली खिले बने प्रसून, भृंग संग  सोम से।खिले विशेष  चंद्रिका  मही रात व्योम से। … Read more