इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ*

indradhanush

इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ* इन्द्र धनुष के रंग उड़े हैं. देख धरा की तरुणाई।छीन लिए हाथों के कंगन. धूम्र रेख नभ में छाई।। सुंदर सूरत का अपराधी. मूरत सुंदर गढ़ता हैकौंध दामिनी ताक ताक पथ. चन्दा नभ में चढ़ता है. नारी का शृंगार लुटेरापाहन लगता सुखदाई।इन्द्रधनुष…………..।। यौवन किया तिरोहित नभ … Read more

घर-घर में गणराज – परमानंद निषाद

ganesh

“घर-घर में गणराज” परमानंद निषाद द्वारा रचित एक कविता है जो गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की महिमा और उनकी पूजा के महत्व को दर्शाती है। यह कविता गणेश उत्सव की खुशी, भक्ति, और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रकट करती है। *घर-घर में गणराज (दोहा छंद)* आए दर पे आपके, कृपा करो गणराज।हे लम्बोदर … Read more

वतन वालों वतन ना बेच देना

struggle

वतन वालों वतन ना बेच देना वतन वालों वतन ना बेच देनाये धरती, ये गगन ना बेच देनाशहीदों ने जान दी है, वतन के वास्तेशहीदों के कफ़न ना बेच देना दोस्तों, साथियों, हम चले दे चलेअपना दिल अपनी जाँताकि जीता रहे अपना हिन्दोस्ताँहम जीये, हम मरे, इस वतन के लिएइस चमन के लिएताकि खिलते रहें … Read more