आज पंछी मौन सारे

आज पंछी मौन सारे नवगीत (१४,१४) देख कर मौसम बिलखताआज पंछी मौन सारेशोर कल कल नद थमा हैटूटते विक्षत किनारे।। विश्व है बीमार या फिरमौत का तांडव धरा परजीतना है युद्ध नित नवव्याधियों का तम हरा कर छा रहा नैराश्य नभ मेंरो रहे मिल चंद्र तारे।।।देख कर…………….।। सिंधु में लहरें उठी बसगर्जना क्यूँ खो गई … Read more

भगत सिंह हों घर घर में

यह कविता मनुष्य के स्वार्थपरता को व्यक्त करते लिखी गई है

मेरा भारत देश महान (16-15 मापनी नवगीत)

mera bharat mahan

मेरा भारत देश महान (16-15 मापनी नवगीत) पाटी पर खड़िया से लिख दूँमेरा भारत देश महान।पढ़ लिख कर मैं कवि बन गाऊँभारत माता के गुणगान।। बाबा चिन्ता मत कर मेरीलौटेंगे बीते दिन रीतदिनकर बनकर गीत लिखूँगाछंद लिखूँगा माँ की प्रीत गाएँगे सब शाम सवेरेऐसी लिखूँ तिरंगा तान।पाटी……………….,..।। पोथी कलम दिलाना मुझकोकुछ ही दिन बस सहने … Read more

मन पर कविता

मन पर कविता (१६,१६) मानव तन में मन होता है,जागृत मन चेतन होता है,अर्द्धचेतना मन सपनों मे,शेष बचे अवचेतन जाने,मन की गति मन ही पहचाने। मन के भिन्न भिन्न भागों में,इड़, ईगो अरु सुपर इगो में।मन मस्तिष्क प्रकार्य होता,मन ही भटके मन की माने,मन की गति मन ही पहचाने। मन करता मन की ही बातें,जागत … Read more

बाल भिक्षु पर कविता

दर्द न जाने कोय….. बाल भिक्षु पर कविता(विधाता छंद मुक्तक) झुकी पलकें निहारें ये,रुपैये को प्रदाता को।जुबानें बन्द दोनो की,करें यों याद माता को। अनाथों ने, भिखारी नें,तुम्हारा क्या बिगाड़ा है,दया आती नहीं देखो,निठुर देवों विधाता को। बना लाचार जीवन को,अकेला छोड़ कर इनको।गये माँ बाप जाने क्यों,गरीबी खा गई जिनको। सुने अब कौन जो … Read more