Tag: #दूजराम साहू

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०दूजराम साहू के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • पेरा ल काबर लेसत हो

    पेरा ल काबर लेसत हो

    तरसेल होथे पाती – पाती बर, येला काबरा नइ सोचत हो!
    ये गाय गरुवा के चारा हरे जी , पेरा ल काबरा लेसत हो !!

    मनखे खाये के किसम-किसम के, गरुवा बर केठन हावे जी !
    पेरा भुसा कांदी चुनी झोड़ के, गरुवा अउ काय खावे जी !!
    धान लुआ गे धनहा खेत के, तहन पेरा ल काबर  फेकत हो !
    तरसेल होथे पाती-पाती बर, येला काबर नइ सोचत हो।।

    अभी सबो दिन ठाढ़े हावे,जड़काला में नंगत खवाथे न  !
    चईत-बईसाख  खार जुच्छा रहिथे, कोठा में गरुवा अघाथे न !!
    वो दिन तहन तरवा पकड़हू, अभी पेरा ल काबर फेकत हो !
    तरसेल होथे पाती-पाती बर, येला काबर नइ सोचत  हो !!

    काय तुमला मिलत हे ,पेरा ल आगी लगाए म !
    एक मुठा राख नई मिले, खेत भर भुर्री धराये म।।

    अपने सुवारथ के नशा म, गरुवा काबर घसेटत हो !
    तरसेल होथे पाती-पाती बर, येला काबर नइ सोचत हो !!

    झन लेसव झन बारव रे संगी,लक्ष्मी के चारा पेरा ल !
    जोर के खईरखाडार में लाओ, खेत के सबो पेरा ल !!
    अनमोल हवे सबो जीव बर, येला काबर नई सरेखत हो !
    तरसेल होथे पाती-पाती बर, येला काबर नइ सोचत हो !!

    शब्दार्थ –  तरसथे = तरसना, पाती=पत्ती, पेरा = पैरा, लेसना = जलाना, बरिक दिन = बारह माह,  किसम-किसम= अनेक प्रकार के, भुर्री= ऐसी आग जो छड़ भर में बुझ जाए,  कांदी =घास, जुच्छा = खाली , तरवा = सीर, खईरखाडार = गऊठान
    सरेखना = मानना/समझना !

    दूजराम-साहू “अनन्य “
    निवास -भरदाकला 
    तहसील -खैरागढ़ 
    जिला-राजनांदगांव (छ .ग. ) 

  • छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

    छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

    चलो नवा सुरुज परघाना हे

    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day
    1 नवम्बर छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 1 November Chhattisgarh State Foundation Day

    छत्तीसगढ़ राज्य पायेहन
    चलो नवा सुरुज परघाना हे !
    भारत माता के टिकली सहिक….
    छत्तीसगढ़ ल चमकाना हे !!

    जेन सपना ले के राज बने हे
    साकार हमला करना हे!
    दिन -दुगनी ,रात -चौगुनी
    आगे -आगे बढ़ना हे !
    सरग असन ये भुईया ल….
    चक- चक ले चमकाना हे!!

    मिसरी असन भाखा हे
    मीठ -बोली- जबान हे ,
    दया-मया अंचरा में बांधे,
    छत्तीसगढ़ीया के पहिचान हे !
    दूध बरोबर उज्जर मन हे….
    नई जाने कपट – बहाना हे !!

    जांगर टोर कमा -कमा के
    धरती ले सोना ऊपजाथे न
    एको सुख ल नई जाने ,
    परबर महल बनाथे न !
    परे -डरे बिछड़े मनखे ल….
    उखर अधिकार दिलाना हे !!

    सबो बर रोजगार रहे
    न करजा कोनो ऊधार रहे ,
    सुन्ना कोनो न चुलहा रहे
    लांघन न कोई परिवार रहे!
    भारत माता के ये बेटी ल……
    दुल्हीन सहीक सम्हराना हे!!

    दूजराम साहू
    निवास- भरदाकला
    तहसील -खैरागढ़
    जिला -राजनांदगांव (छ. ग.)
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  • संयुक्त राष्ट्र पर कविता- दूजराम साहू

    संयुक्त राष्ट्र पर कविता

    आसमान छूने की है तमन्ना, 
    अंधाधुंध हो रहे अविष्कार! 
    चूक गए तो विनाशकारी
    सफलता में जीवन उजियार! ! 

    विज्ञान वरदान ही नहीं, अभिशाप भी है, 
    कहीं नेकी करता तो कहीं पाप भी है! 
    उन्नति में लग जाए तो
    कर दे भव से पार ! 
    चूक गए तो विनाशकारी
    सफलता में जीवन उजियार ! ! 

    निर्माण के इस पावन युग पर, 
    होड़ मची है निर्माण की! 
    दुश्मनों के छक्के छुड़ाने, 
    सुलगा दी बाजी जान की, 
    सुखोई, राफेल ताकतवर,  
    पावरफुल मिसाइल ब्रम्होस हथियार! 
    चूक गए तो विनाशकारी, 
    सफलता में जीवन उजियार!! 

    मंडराती ख़तरा हर पल जहाँ पर
    कैसे ये बादल छट पायेंगे? 
    जल-ज़मीन-जंगल जीवन में
    कहीं तो न विष-ओला बरसायेंगे! 
    दुष्प्रभाव कहीं भी कम नहीं है, 
    गले की हड्डी बन रही है 
    विध्वंसकारी औजार ! 
    चूक गए तो विनाशकारी, 
    सफलता में जीवन उजियार!! 

    जल दूषित,थल दूषित,
    दूषित होता आसमान! 
    हथियारों के घमंड में, 
    बैरी होता सारा जहान!! 
    संयुक्त राष्ट्र मिल चिंतन करे, 
    कम हो हथियारों का अविष्कार! 
    चूक गए तो विनाशकारी , 
    सफलता में जीवन उजियार! ! 

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     दूजराम साहू
     निवास -भरदाकला
     तहसील- खैरागढ़
     जिला- राजनांदगांव (छ. ग. ) 
      8085334535
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  • प्रदुषण से बचाना होगा

    प्रदुषण से बचाना होगा

      महकती धरा  को प्रदुषण से बचाना होगा

    इस नवरात्रि में एक मुहीम चलाना होगा, 
    महकती धरा को प्रदुषण से बचाना होगा!

    भिन्न- भिन्न धर्म यहाँ, भिन्न- भिन्न मज़हब है, 
    भिन्न- भिन्न प्रदुषण से इसे बचाना होगा!

    सघनता आबादी है, उत्सव की वातावरण , 
    ध्वनि  की अधिकता से इसे बचाना होगा!

    धार्मिकता की धून में गूंजा है वातावरण, 
    पानी पाउच झिल्लियों से इसे बचाना होगा !

    सतह गिरता भू-जल का महत्व सब जाने, 
    विरंजक रंजकों से जल बचाना होगा!

    कृषिप्रधान देश है अर्थ व्यवस्था की जान, 
    कीटनाशक दवाईयों से धरा बचाना होगा!

    सुख-शांति अमन हो बिखरे भाईचारा, 
    बोतल की नशा से परिवार बचाना होगा!

    सोने की चिड़िया की चमक धुमिल न हो, 
    शुद्ध जल वायु के लिए  एक पेड़ लगाना होगा!

    भयवाह समस्या है, अब समझ जा ईंसान, 
    कोई देव दूत न आयेगा खूद को जगाना होगा !

    दूजराम साहू “दास “

    निवास -भरदाकला 

    तहसील- खैरागढ़ 

    जिला -राजनांदगांव (छ.ग.) 

    8085334535
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  • कर डरेन हम ठुक-ठुक ले

    कर डरेन हम ठुक- ठुक ले

    पुरखा के रोपे रूख राई
    कर डरेन हम ठुक-ठुक  ले.. ……
    नोहर होगे तेंदू चार बर..
    जिवरा कईसे करे मुच-मुच ले…

    ताते तात के जेवन जेवईया ,
    अब ताते तात हवा खावत हन ..
    अपन सुवारथ के चक्कर म,
    रूख राई काट के लावत हन.
    कटकट- कटकट करत डोंगरी …
    कर डरेन हम बूच -बूच ले …
    कर डरेन हम ठुक -ठुक ले…

    बड़े-बड़े मंजिल कारखाना ,
    आनी बानी अब गढ़हत हे!
    सुरसा कस जनसंख्या देख ले,
    दिनो दिन ये बढ़हत हे ।।
    जंगल ले मंगल़़ दुुुरिहागे..
    जिनगी कईसे करे मुच- मुच ले …
    कर डरेन हम ठुक ठुक ले…

    बिरान न होवए अब ये भुइया..
    हमला बिचार करना हे ..
    खोज- खोज के खाली जगह म..
    रूख राई लगा के भरना हे ..
    सरग बरोबर ये भुईया ल ..
    सिंगार करन अब लुक – लुक ले…
    कर डरेन हम ठुक ठुक ले….

    दूजराम साहू अनन्य
    भरदाकला (खैरागढ़)

    ले