पेरा ल काबर लेसत हो

पेरा ल काबर लेसत हो तरसेल होथे पाती – पाती बर, येला काबरा नइ सोचत हो!ये गाय गरुवा के चारा हरे जी , पेरा ल काबरा लेसत हो !! मनखे खाये के किसम-किसम के, गरुवा बर केठन हावे जी !पेरा भुसा कांदी चुनी झोड़ के, गरुवा अउ काय खावे जी !!धान लुआ गे धनहा खेत … Read more

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता

छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर कविता चलो नवा सुरुज परघाना हे छत्तीसगढ़ राज्य पायेहनचलो नवा सुरुज परघाना हे !भारत माता के टिकली सहिक….छत्तीसगढ़ ल चमकाना हे !! जेन सपना ले के राज बने हेसाकार हमला करना हे!दिन -दुगनी ,रात -चौगुनीआगे -आगे बढ़ना हे !सरग असन ये भुईया ल….चक- चक ले चमकाना हे!! मिसरी असन भाखा … Read more

संयुक्त राष्ट्र पर कविता- दूजराम साहू

संयुक्त राष्ट्र पर कविता आसमान छूने की है तमन्ना, अंधाधुंध हो रहे अविष्कार! चूक गए तो विनाशकारीसफलता में जीवन उजियार! !  विज्ञान वरदान ही नहीं, अभिशाप भी है, कहीं नेकी करता तो कहीं पाप भी है! उन्नति में लग जाए तोकर दे भव से पार ! चूक गए तो विनाशकारीसफलता में जीवन उजियार ! !  निर्माण के इस पावन युग … Read more

प्रदुषण से बचाना होगा

प्रदुषण से बचाना होगा   महकती धरा  को प्रदुषण से बचाना होगा इस नवरात्रि में एक मुहीम चलाना होगा, महकती धरा को प्रदुषण से बचाना होगा! भिन्न- भिन्न धर्म यहाँ, भिन्न- भिन्न मज़हब है, भिन्न- भिन्न प्रदुषण से इसे बचाना होगा! सघनता आबादी है, उत्सव की वातावरण , ध्वनि  की अधिकता से इसे बचाना होगा! धार्मिकता की धून … Read more

कर डरेन हम ठुक-ठुक ले

कर डरेन हम ठुक- ठुक ले पुरखा के रोपे रूख राईकर डरेन हम ठुक-ठुक  ले.. ……नोहर होगे तेंदू चार बर..जिवरा कईसे करे मुच-मुच ले… ताते तात के जेवन जेवईया ,अब ताते तात हवा खावत हन ..अपन सुवारथ के चक्कर म,रूख राई काट के लावत हन.कटकट- कटकट करत डोंगरी …कर डरेन हम बूच -बूच ले …कर … Read more