डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर के मुक्तक कविता
डिजेन्द्र कुर्रे कोहिनूर के मुक्तक कविता मुक्तक – बदरिया की घटाओ सी बदरिया की घटाओ सी ,तेरी जुल्फें ये कारे हैतेरे माथे की बिंदिया से, झलकते चाँद तारे हैकभी देखा नहीं हमने, किसी चंदा को मुड़ मुड़ केमगर पूनम तेरी आँखों में,हमने दिल ये हारे है गैरों से तेरा मिलना, मुझे तिल तिल जलाता हैमगर … Read more