मैंने चाहा तुमको हद से -मनीभाई

मैंने चाहा तुमको हद से -मनीभाई मैंने चाहा तुमको हद से,कोई खता तो नहीं।मैंने मांगा मेरे राम सेकोई ज्यादा तो नहीं।तू समझे या ना समझेतू चाहे या ना मुझे चाहेइसमें कोई वादा तो नहीं। तेरी भोली बातें सुनूं,या देखूं ये निगाहेंकैसे संभालूं दिल को,कैसे छुपाऊं आहें।तेरे पास पास रहूं,तेरे साथ साथ चलूंइसकी कोई वजह तो … Read more

उसे रूह में समाया है

रूह में समाया है माना के उसके जिस्म को भी मैंने चाहा हैमगर उस से ज्यादा उसे रूह में समाया है l ये सावन उसको भुलाने नहीं देता मुझकोबारिश में उसकी यादों के लम्हे ले आया है l जब चाँद की चांदनी में निकलता हूँ घर सेमेरा साया भी लगता मुझे उसका साया है l … Read more

सखी के लिए कविता -डॉ0 दिलीप गुप्ता

सखी के लिए कविता – डॉ0 दिलीप गुप्ता रिमझिम बरसे.मन है हरसेप्रणय को ब्याकुल हिरदय होवे,सात समंदर पार है सजनीबिरह में बदरा-मेघा रोवे…..तप्त हृदय की अगन बुझाने—–आओ न सखी.. आओ न सखी।।–।।00नीला अम्बर,हरी-भरी धरतीनाचत मोर रिझावत सजनी,उपवन डार-पात लदे फूलनमहकी रातरानी यहां रजनी,सुने आंगन को महकाने—-आओ न सखी…आओ न सखी।।–।।00धरती भीगी मन मोरा लथपथप्रेम का … Read more

झुमका : प्यार के प्यार की निशानी

झुमका : प्यार के प्यार की निशानी आज मैंने अपने तोहफे का बॉक्स निकाला,जिसे बड़े सलीके से मैंने संभाल के रखा था,आदत कहूं या तोहफे के प्रति मेरा लगावमैंने अपना हर एक तोहफा संभाल के रखा है बड़े प्यार सेऔर जब ये तोहफा आपके प्यार का दिया होतो उसके प्रति प्यार और बढ़ जाता है, … Read more

फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस ग़ज़ल में किसी से मिलने की आरज़ू को बयाँ किया गया है |
फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं – ग़ज़ल – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”