
गीता द्विवेदी की हाइकु
गीता द्विवेदी की हाइकु 1 – पकते फल फुदके गिलहरी कोई न हल 2 – बीज धरा में झर – झर बरखा नवअंकूर 3 – कठपुतली मनोरंजन कड़ी दुनिया भूली 4 – एक आंगन संयुक्त परिवार लुभाए मन 5 …
गीता द्विवेदी की हाइकु 1 – पकते फल फुदके गिलहरी कोई न हल 2 – बीज धरा में झर – झर बरखा नवअंकूर 3 – कठपुतली मनोरंजन कड़ी दुनिया भूली 4 – एक आंगन संयुक्त परिवार लुभाए मन 5 …
हाइकु मंजूषा 1चल रही हैचुनावी हलचलप्रजा से छल 2 भरोसा टूटाकिसे करें भरोसासबने लूटा 3 शासन तंत्रबदलेगी जनताहक बनता 4 धन लोलूपनेता हो गए सबअब विद्रूप 5 मंडरा रहाभविष्य का खतराचुनौती भरा 6 खल चरित्रजीवन रंगमंचन रहे मित्र 7 प्यासी…
हाइकु त्रयी [१]कोहरा घनाजंगल है दुबका दूर क्षितिज! [२]कोहरा ढांपे न दिखे कुछ पार ओझल ताल [३]हाथ रगड़ कुछ गर्माहट होकांपता हाड़ निमाई प्रधान’क्षितिज’* Post Views: 108
अवि के हाइकु जीवन पथप्रेम और संघर्षदुलारा बेटा मनमोहनबलिहारि जाँऊ मैंतेरी मुस्कान मां हूँ मैंलड़ूंगी भूख से मैंये अग्निपथ समर्पित हैतुझ पे ये जीवनराज दुलारा ©अविअविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा Post Views: 51
राख विषय पर हाइकु- रमेश कुमार सोनी 1 मोक्ष ढूंढने चला – चली की बेला राख हो चला ।। 2 राख का डर जिंदगी ना रुकती मौत है सखी ।। 3 पानी जिंदगी अग्नि , राख की सखी नहीं निभती…
शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन सिंदुरी भोर धरा के मांग सजी लागे दुल्हन नव रूपसी दुब मखमली सी छवि न्यारी सी कोहरा छाया एक पक्ष वक्त का दुखों का साया …
वीणा के हाइकु 1-कृष्णमुरारीबालभद्र,सुभद्रारथ सवारी।2-हरितालिकापति की लम्बी आयुपत्नी निर्जला।3-स्वयं विश्वासमिलेगी सफलतामंजिल पास।4-लाल गुब्बाराबालक खेल रहाबम धमाका।5-मणिकर्णिकाअंतरिक्ष पे बैठीहिन्द की नारी। *सविता बरई “वीणा”सीतापुर, सरगुजा,(छ.ग.) Post Views: 50
सुधा राठौर जी के हाइकु छलक गयापूरबी के हाथों सेकनक घट★बहने लगींसुनहरी रश्मियाँविहान-पथ★चुग रहे हैंहवाओं के पखेरूधूप की उष्मा★झूलने लगींशाख़ों के झूलों परस्वर्ण किरणें★नभ में गूँजेपखेरुओं के स्वरप्रभात गान सुधा राठौर Post Views: 45
निमाई प्रधान’क्षितिज’ के हाइकु *[1]* *हे रघुवीर!**मन में रावण है* *करो संहार ।* *[2]**सदियाँ बीतीं* *वहीं की वहीं टिकीं* *विद्रूपताएँ ।* *[3]**जाति-जंजाल**पैठा अंदर तक**करो विमर्श ।* *[4]**दुःखी किसान* *सूखे खेत हैं सारे* *चिंता-वितान* *[5]**कृषक रुष्ट* *बचा आख़िरी रास्ता* *क्रांति का…
वृन्दा पंचभाई की हाइकु छलक आतेगम और खुशी में मोती से आँसू। लाख छिपाएकह देते है आँसूमन की बात। बहते आँसूधो ही देते मन केगिले शिकवे। जीवन भर साथ रहे चलेमिल न पाए। नदी के तटसंग संग चलतेकभी न मिले।…