शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन

हाइकु

शीत ऋतु पर हाइकु – धनेश्वरी देवांगन          सिंदुरी भोर      धरा के मांग  सजी        लागे दुल्हन         नव रूपसी      दुब मखमली  सी        छवि न्यारी  सी          कोहरा छाया     एक पक्ष वक्त  का      दुखों  का साया         शीत अपार    स्वर्णिम रवि रश्मि        सुख स्वरूप        ओस के मोती       जीवन के  … Read more

शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता

यहाँ पर शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता दिए गये हैं आपको कौन सी अच्छी लगी , नीचे कमेंट बॉक्स पर जरुर लिखें शीत ऋतु का आगमन घिरा कोहरा घनघोरगिरी शबनमी ओस की बूंदेबदन में होने लगीअविरत ठिठुरन ओझल हुई आंखों सेलालिमा सूर्य कीदुपहरी तक भी दुर्लभहो रही प्रथम किरण इठलाती बलखातीबर्फ के फाहे बरसातीशीत ऋतु … Read more

छत्तीसगढ़ी कविता – जड़कल्ला के बेरा

जड़कल्ला के बेरा -छत्तीसगढ़ी कविता आगे रे दीदी, आगे रे ददा, ऐ दे फेर जड़कल्ला के बेरा।गोरसी म आगी तापो रे भइया , चारोखुँट लगा के घेरा॥ रिंगीचिंगी पहिरके सूटर,नोनी बाबू ल फबे हे।काम बूता म,मन नई लागे, बने जमक धरे हे।देहे म सुस्ती छागय हे,घाम लागे बड़ मजा के।दाँत ह किटकिटावथे,नहाय लागे बड़ सजा … Read more