मनीभाई के हाइकु अर्द्धशतक भाग 5
हाइकु अर्द्धशतक २०१/ प्रभात बेला~ शहर में सजती रंगीन मेला। २०२/ हिलते पात~ दिवस सुधि लेते आई प्रभात। २०३/ खनिज खान~पठार की जमीनचौड़ा सपाट। २०४/रूई बिछौना~पामीर के पठारसंसार छत। २०५/ फंसा पतंगा फूल की लालच में लोभ है जाल। २०६/ पिरो के रखा~ एकता के सूत्र में अंतरजाल। २०७/ बारिश बूंदें~उगी है … Read more