मदिरा मंंदिर एक सा- रामनाथ साहू ” ननकी “
मदिरा मंंदिर एक सा मदिरा का पर्याय है , माधव मोहन प्यार ।कभी कहीं उतरे नहीं , छके भरे रससार ।।छके भरे रससार , प्रेमरस पीले पगले ।क्या जाने कल वक्त , मिले या आगे अगले ।।कह ननकी कवि तुच्छ , पिया था जिसे कबिरा ।मदिरालय मन मस्त , पिये जा माधव मदिरा ।। मदिरा … Read more