Tag कुण्डलियाँ छंद [विषम मात्रिक]

कुण्डलियाँ छंद दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में 24 मात्राएँ होती है।

महागौरी पर कविता (कुंडलियाँ)

महागौरी पर कविता : हिन्दुओं के शक्ति साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापाक उल्लेख है,…

माँ कालरात्रि पर कविता

माँ कालरात्रि पर कविता मात भवानी सिद्धिदा , दूर करे त्रय ताप।कालरात्रि माँ पुण्यदा , हरे सभी के पाप।।हरे सभी के पाप , माँ भव सागर तारिणी।हे शूलपाणि मात , चण्डमुण्ड संहारिणी।।कहता कवि करजोरि ,भद्रकाली वरदानी।कर दो भय से मुक्त,…

माता की पूजा पर कविता

माता की पूजा पर कविता माता की पूजा करूँ ,जाकर उनके द्वार।जननी मेरा भी करो,भव से बेड़ापार।भव से बेड़ापार,भजन तेरा मैं गाऊँ।बने जगत सुखधाम,प्रेम ही नित मैं पाऊँ।कह डिजेन्द्र करजोरि,नहीं मुझको कुछ आता।कर तेरा गुणगान,रहूँ हरदम खुश माता।।~~~~~~~~~~~~~~~~डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”पीपरभवना,बलौदाबाजार…

कात्यायनी माँ पर कविता

कात्यायनी माँ पर कविता माता दानव घातिनी , हरो सभी के पाप।होय दूर माँ जगत के , रोग शोक संताप।।रोग शोक सन्ताप , माता हे कात्यायनी।कालहारिणी अम्ब , आदि शक्ति वरदायनी।।कहताकवि करजोरि,मात के गुण जो गाता।करती संकट दूर , हे…

माता के नवराते पर कुंडलियाँ

नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन…

संस्कृति पर कविता

संस्कृति पर कविता अपनी संस्कृति अपनाओ,अपना अभिवादन अपनाओ!जब भी मिले दूसरो से ,हाथ जोड़ मुस्कुराओ !!हाथ जोड़ मुस्कुराओ,कोरोना दूर भगाओ!हाथ धोये साबुन सेथोड़ा न घबराओ !!कहे दूजराम पुकार के ,सावधानी अपनाओ!खांसते मास्क लगाओकोरोना दूर भगाओ !! दूजराम साहूनिवास -भरदाकलातहसील -खैरागढ़जिला-…

साथ-साथ पर कविता- रामनाथ साहू ननकी

साथ-साथ पर कविता सम्मुख यूँ बैठो रहो ,जीवन जाये बीत ।मुक्त भाव से गा सकें ,सिर्फ प्यार के गीत ।।सिर्फ प्यार के गीत ,गढ़ें हम गीत वफा के ।मानस अंकित चित्र ,चले हम इसी अदा से ।।कह ननकी कवि तुच्छ…

कुण्डलिया शतकवीर- बाबूलाल शर्मा

कुण्डलिया शतकवीर – बाबूलाल शर्मा १. *वेणी* मिलती संगम में सरित, कहें त्रिवेणी धाम!तीन भाग कर गूँथ लें, कुंतल वेणी बाम!कुंतल वेणी बाम, सजाए नारि सयानी!नागिन सी लहराय, देख मन चले जवानी!कहे लाल कविराय, नारि इठलाती चलती!कटि पर वेणी साज,…

नेक काम पर कविता

नेक काम पर कविता आये हो संसार मे, नेक काम कर जाय।विपदा आफत टाल कर,सब की करे सहाय।सब की करे सहाय,प्रभु ने लायक बनाया।मेहर उस की होय,खुशिया जी भर लुटाया।कहै मदन कर जोर, यही से सब कुछ पाये।दाता को लौटाय,…

चितवन पर कविता

चितवन पर कविता चंचल चर चितवन चषक, चण्डी,चुम्बक चाप्!चपला चूषक चप चिलम,चित्त चुभन चुपचाप!चित्त चुभन चुपचाप, चाह चंडक चतुराई!चमन चहकते चंद, चतुर्दिश चष चमचाई!चाबुक चण्ड चरित्र, चाल चतुरानन चल चल!चारु चमकमय चित्र, चुनें चॅम चंदन चंचल! *चंडक~चंद्र, चॅम~मित्र, चष~दृश्य शक्ति,…