Tag: Hindi poem on Magh

माघ शुक्ल की पंचमी : माघ शुक्ल पंचमी भारतीय पंचांग के अनुसार ग्यारहवें माह की पाँचवी तिथि है, वर्षान्त में अभी ५५ तिथियाँ अवशिष्ट हैं।

  • बसंत तुम आए क्यों

    बसंत तुम आए क्यों ?

    मन में प्रेम जगाये क्यों?
    बसंत तुम आए क्यों ?

    सुगंधो से भरी
    सभी आम्र मंजरी
    कोयल कूकती फिरे
    इत्ती है बावरी
    सबके ह्रदय में हूक उठाने

    मन में प्रेम जगाये क्यों?
    बसंत तुम आए क्यों ?

    हरी पत्तियाँ बनी तरुणी
    आलिंगन करती लताओं का
    अनुरागी बन भंवर
    कलियों से जा मिला
    सकुचाती हैं हवाएँ
    दिलों को एहसास दिलाने

    मन में प्रेम जगाये क्यों?
    बसंत तुम आए क्यों ?

    सरसों के फूल खिले
    बासन्ती हो गई उपवन
    सूर्य को दे नेह निमंत्रण
    आलिंगन प्रेम पाश का
    मन में प्रेम सुधा बरसाने

    मन में प्रेम जगाये क्यों?
    बसंत तुम आए क्यों ?
    अनिता मंदिलवार “सपना”
    अंबिकापुर सरगुजा छतीसगढ़

  • ऋतुराज बसंत

    ऋतुराज बसंत


    ऋतुराज बसंत प्यारी-सी आई,
    पीले पीले फूलों की बहार छाई।
    प्रकृति में मनोरम सुंदरता आई,
    हर जीव जगत के मन को भाई।

    वसुंधरा ने ओढ़ी पीली चुनरिया,
    मदन उत्सव की मंगल बधाइयाँ ।
    आँगन रंगोली घर द्वार सजाया,
    शहनाई ढ़ोल संग मृदंग बजाया ।

    बसंत पंचमी का उत्सव मनाया,
    माँ शारदे को पुष्पहार पहनाया।
    पुष्प दीप से पूजा थाल सजाया,
    माँ की आरती कर शीश झुकाया।

    शीश मुकुट हस्त वीणा धारिणी,
    ज्ञान की देवी है सरगम तरंगिणी।
    विमला विद्यादायिनी हंसवाहिनी,
    ‘रिखब’को दिव्य बुद्धि प्रदायिनी।

    @ रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश
    जयपुर।

  • ऋतुराज का आगमन

    ऋतुराज का आगमन

    ऋतुराज बसंत लेकर आये
    वसंत पंचमी, शिवरात्रि और होली
    आ रही पेड़ों के झुरमुट से
    कोयल की वो मीठी  बोली ।


    बौरों से लद रहे आम वृक्ष
    है बिखर रही महुआ की गंध
    नव कोपल से सज रहे वृक्ष
    चल रही वसंती पवन मंद ।


    पलाश व सेमल के लाल-लाल फूल
    भँवरे मतवाले का मधुर गान
    सौन्दर्य बिखेरती मौसम सुहावना
    और बागों में फूलों की शान ।


    राग बसंत  की  मधुर गीत
    वसंतोत्सव, मदनोत्सव का खूमार
    प्रकृति झूम उठती वसंत आगमन से
    और हरियाली करती है श्रृंगार ।


    ✍बाँके बिहारी बरबीगहीया