Tag manibhai navratna ki kavita in hindi

मनीभाई नवरत्न

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० मनीभाई नवरत्न के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

एक होनहार लड़का

एक होनहार लड़का एक होनहार लड़कासच्चा,त्यागी, ईमानदार।उसके गुरु ने भी तालीम दी थीसच बोलने कीत्याग करने की ।ईमान निभाने की ।पर सिखाना थादो जून की रोटी जुटाने की शिक्षा ।आज भी लड़का खड़ा हैबड़ी सच्चाई से भूख-प्यास त्यागकर ।ईमानदारी से…

जब तूने हमें छोड़ के दौड़ लगाई

जब तूने हमें छोड़ के दौड़ लगाई रचनाकार :मनीभाई नवरत्नरचनाकाल :15 नवम्बर 2020 तू चलता हैलोग बोलते हैंतू दौड़ता क्यूँ नहीं ?तू सबसे काबिल है।अब दौड़ता हूँफिर लोग बोलते हैंगिरेगा  तभी जानेगाहम क्यूँ चल रहे हैं ? तूने फिर बातें…

क्या मैं उसे कभी जान पाया ?

क्या मैं उसे कभी जान पाया ? कभी – कभीया बोलिये अब हर वक्त…मैं ढूंढता हूँ उसकोजो मेरे अंदर पड़ा है मौन।कहता कुछ नहींपर लगता हैउसकी आवाज दबा दी गई होकब ?ये भी तो मुझे मालूम नहीं ।लेकिन हाँ !…

स्कूल पर कविता

स्कूल पर कविता चलो ऐसी शाला का निर्माण करेंजिसका प्रकाश सबको आलोकित करें।इस संस्था का सदस्य बन करहम स्वयं भी गौरवान्वित करें ।जहां गुरु शिष्य का नातापिता-पुत्र से आंका जाए ।जहां हरेक बालों मेंबहन का रूप झांका जाए ।पर सगुणों…

जीवन विद्या पर कविता

जीवन विद्या पर कविता जीवन रूपी विद्या, होती है सबसे अनमोल ।जानके ये विद्या, तू जीवन के हर भेद खोल।। आया कैसे इस दुनिया में , समझ तू कौन है?इस प्रश्नों के उलझन में, “मनी “क्यों मौन है ?समझ कर…

मैं तेरा बीज – पिता पर विशेष

मैं तेरा बीज – पिता पर विशेष मैं तेरा बीज – पिता पर विशेषहे पिता!मैं तेरा बीज हूँ।माँ की कोख मेंजो अंकुरित हुया ।जब-जब भुख लगी माँ,तेरे धरा का रसपान किया।गोदी में बेल की भांतिलिपटा और भरपूर जीया। तेरे खाद-पानी…

देख रहा हूँ कल – मनीभाई नवरत्न

देख रहा हूँ कल सोते हुए जो “कल” को मैंने देखा था।वह महज सपना था ।आज इस पल फिर सेदेख रहा हूं “कल” मैं जागते हुए ।हां !यही अपना रहेगा।इस पल साथ हैं मेरे तीन दोस्त“जोश जुनून और जवानी “।और…

छत्तीसगढ़ी गीत : हमर देश के हमर राज

छत्तीसगढ़ी गीत : हमर देश के हमर राज हमर देश के हमर राज ,रखबो जेकर लाज गा।दीदी भई जम्मो रे संगी, करथे जेकर बर नाज गा।चिरई चिरकुन हामन जइसे,रिकिम-रिकिम के रंग बोली।बागे बगीचा मा जइसे ,करत राथे हंसी ठिठोली ।हमर…

ये मजहब क्यों है – एकता दिवश पर कविता

ये मजहब क्यों है – एकता दिवश पर कविता ये मजहब क्यों है?ये सरहद क्यों है?क्यों इसके खातिर,लड़ते हैं इंसान ?क्यों इसके खातिर,जलते हैं मकान ?क्यों इसके खातिर,बनते हैं हैवान ?क्यों इसके खातिर,आता नहीं भगवान ?क्या करेंगे ऐसे मजहब का,जिसमें…

जब मैं तनहा रहता हूँ

जब मैं तनहा रहता हूँ जब मैं तनहा रहता हूँ।खुद से बातें करता हूँ ।सुख की,दुख की ।छांव की, धुप की ।गलतियों पर सीख लेता हूँ ।कसम खाता हूँ आगे से,इन्हें ना दुहराने की ।जीत पर बधाई देता हूँ ।उत्साह…