अब नहीं सजाऊंगा मेला

अब नहीं सजाऊंगा मेला अक्सर खुद कोसाबित करने के लिएहोना पड़ता है सामने . मुलजिम की भांति दलील पर दलील देनी पड़ती है . फिर भी सामने खड़ा व्यक्तिवही सुनता है ,जो वह सुनना चाहता है .हम उसके अभेद कानों के पार जाना चाहते हैं .उतर जाना चाहते हैंउसके मस्तिष्क पटल पर बजाय ये सोचे … Read more

प्रायश्चित- मनीभाई नवरत्न

प्रायश्चित- मनीभाई नवरत्न हम करते जाते हैं कामवही जो करते आये हैंया फिर वो ,जो अब हमारे शरीर के लिएहै जरूरी। इस दरमियानकभी जो चोट लगेया हो जाये गलतियां।तो पछतावा होता है मन मेंजागता है प्रायश्चित भाव। वैसे सब चाहते हैंगलतियां ना दोहराएं जाएं।सब पक्ष में हैंसामाजिक विकास अग्रसर हो।गम के बादल तले,सुखों का सफर … Read more

हाय यह क्या हो गया?- मनीभाई नवरत्न

हाय यह क्या हो गया? हाय यह क्या हो गया?महाभारत हो गया ।हुआ कैसे?एकमात्र दुर्योधन से!किसका बेटा ?अंधे धृतराष्ट्र का!पट्टी लगाई आंखों मेंपतिव्रता गांधारी का।शायद कम गई दृष्टि इनकी,उद्दंडता जो दुर्योधन ने की । असल कसूरवार कौन?जिसने दुर्योधन को गढ़ा।जीवन के महत्वपूर्ण घड़ियों में ,जो सारे बुरे सबक को पढ़ा ।दोषी वे सारे व्यवस्था हैं … Read more

ये तो बस मूर्खों की पीढ़ी बनायेगा

ये तो बस मूर्खों की पीढ़ी बनायेगा ये जानता नहीं अपनी मंजिल,  लक्ष्य के लिए कैसे सीढ़ी बनायेगा ?मूर्ख बनाने में शातिर महाप्रभु, ये तो बस मूर्खों की पीढ़ी बनायेगा ।। इसे स्वयं को जो भी अच्छा लगे, उसे सत्य मान लेता है।स्वयं को सच्चा परम ज्ञानी, दूसरों को झूठा जान लेता है।सच झूठ का … Read more

बेखुदी की जिंदगी- मनीभाई नवरत्न

बेखुदी की जिंदगी… बेखुदी की जिंदगी हम जिया करते हैं। शायद इसलिए हम पिया करते हैं । रही सही उम्मीदें तुझ पर अब जाती रही।ना समझ बन गए हैं कोई सोच आती नहीं ।मिली तुझसे जख्मों को हम सीया करते हैं । बेखुदी की जिंदगी… बेशुमार दौलत क्या? हमको पता नहीं ।बेपनाह मोहब्बत क्या ?तुमको … Read more