शहीदों की कुर्बानी पर कविता -मनोरमा जैन पाखी
शहीदों की कुर्बानी पर कविता -मनोरमा जैन पाखी पवन वेग से उड रे चेतक ,जहाँ दुश्मन यह आया है ।रखा रुप विकराल दुष्ट ने ,ताँडव वहाँ मचाया है। रक्तरंजित हो गयी धरा ,निर्दोषो के खून से।जाने न पाये दुष्ट नराधमरंग दे भू उस खून से । रही सिसकती आज वसुंधरादेखे अपना दामन लाल।न जाने कितनी … Read more