नव सुर-दात्री
नव सुर-दात्री,नव लय-दात्रीनव – गान मयी,नव तान – मयी। देवी मैं हूँ अति अज्ञानी नहीं है जग में तुमसा दानी माँ! दान दो नव अक्षरो का माँ दान दो नवलय स्वरो का जग- सृष्टा की मानस – कन्याबुद्धि दाता न तुझसी अन्या।। शारदे! वागेश- वीणा – धारणी भारती! भारत- सुतों की तारणी नव … Read more