Tag: #ओमकार साहू

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० ओमकार साहू के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • सर्वधर्म सार तत्व (दोहे)

    सर्वधर्म सार तत्व (दोहे)

    kavitabahar logo
    kavitabahar logo

    बाइबिल नीतिवचन
    नीतिवचन से सीख लें, मोल महत्तम माप।
    बुद्धि स्वर्ण से उच्च है, सच पतरस की नाप।।

    बुद्धि
    बुद्धि क्षेत्र परिमाप को, दें इतना विस्तार।
    चाँदा घूमें नापने, जोड़ करें साकार।।

    यहोवा
    जन्म यहोवा को दिया, मरियम तारनहार।
    येरुशलम भूभाग पर, चरणी में अवतार।।
    कुरान

    आयतें
    अरज आयतें मानिए, कहता कर्म कुरान।
    मानवता का पाठ है, नियत रखें ईमान।।

    मुस्लिम
    अहद वहम् को तोड़ते, स्वार्थ परक अरमान।
    तज फसाद मुस्लिम पढ़ें, आयत के फरमान।।
    त्रिपिटक

    बुद्ध
    चरैवेति नित लक्ष्य ले, कर्म भावना शुद्ध।
    आत्म ज्ञान अर्जन किया, बोधि वृक्ष से बुद्ध।।

    सम्यक ज्ञान
    त्रिपिटक सम्यक ग्रंथ में, मूल मंत्र यह मित्र।
    वाणी दर्शन राखिये, चंचल चित्त चरित्र।।
    आगम

    पंचशील
    अपरिग्रह अस्तेय सह, सत्य अहिंसा मान।
    ब्रह्मचर्य है पाँचवा, जैन धर्म के ज्ञान।।

    महावीर
    तीर्थंकर चौबीसवें, राज भोग कर त्यक्त।
    तीस बरस की उम्र में, ज्ञानी मोह विरक्त।।
    वैदिक ग्रंथ

    वेद
    धर्म पुरातन विश्व में, वेद ऋचाएँ मर्म।
    कर्मठ जन कल्याण के, मूल मंत्र सत्कर्म।।

    ======03/03/2021=======

  • रामायण के पात्रों पर दोहा / ओमकार साहू

    रामायण के पात्रों पर दोहा / ओमकार साहू

    राम/श्रीराम/श्रीरामचन्द्ररामायण के अनुसार,रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, सीता के पति व लक्ष्मणभरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता थे। हनुमान उनके परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध उन्होंने ही किया था। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया।

    shri ram hindi poem.j

    रामायण के पात्रों पर दोहा / ओमकार साहू

    1. *श्री राम*

    मर्यादा प्रतिबिंब श्री, राम चन्द्र अवधेश।
    रघुवर दीनानाथ का, अनुयायी यह देश।।

    2. *सीता*
    विषम काल में साथ दें, माँ सीता का ज्ञान।
    पति चरण को मानती, प्रथम पूज्य भगवान।।

    3. *लक्ष्मण*
    भ्रात प्रेम में लीन जो, सेवा का पर्याय।
    ज्येष्ठ नात हो राम सम, नहीं भ्रमण अभिप्राय।।

    4. *हनुमान*
    भक्त शिरोमणि पूजते, सर्वप्रथम हनुमान।
    दास कृपा श्री राम की, भक्त बने भगवान।।

    5. *भरत*
    राज्य संपदा त्याग के, साथ सगे के आप।
    नूतन कर दी स्थापना, भ्रात प्रेम परिमाप।।

    6 *दशरथ*
    सोच समझ कर दीजिए, शपथ वचन वरदान।
    लोभी लीला लालसा, अवनति की पहचान।।

    7 *कैकेयी*
    कुटिल मंथरा बोलती, साध सुखी निज स्वार्थ।
    मातु कलंकित जग भयी, लज्जित कर चरितार्थ।।

    8 *शबरी*
    माता शबरी भीलनी,अटल प्रेम के साथ।
    द्रवित प्रेम को देखकर, भावुक दीनानाथ।।

    9 *रावण*
    अतुलित बल अभिमान ले, छ्द्मी चाल चरित्र।
    अहंकार को तोड़ती, अबला आन पवित्र।।

    10 *विभीषण*
    लंकापति के राज में, बहुधा थे प्रतिकूल।
    राम भक्ति की भावना, अंक किया अनुकूल।।

  • भोर वंदन- नवनिर्माण करें

    भोर वंदन-नवनिर्माण करें

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह


    ====लावणी छन्दगीत 16,14 पदांत 2====

    सत्य सर्वदा अपनाएँ हम, न्योछावर निज प्राण करें।…
    राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।…

    सत्य विकल तो हो सकता है, नहीं पराजय अंत मिले।
    झूठी चादर ओढ़े कलयुग, जयचंदों सह संत मिले।।
    कुपित मौलवी और पादरी, भ्रष्टाचारी पंत मिले।
    विषमय रक्त प्रवाहित होता, दंश मनुज के दंत मिले।।

    उदाहरण हम बन सामाजिक, जनहित में कल्याण करें।…
    राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।…

    सद्भावों की करें कल्पना, सज्जनता पहचान रखें।
    चकाचौंध से परे रहें हम, साधारण परिधान रखे।।
    घने तिमिर को चीर बढ़ो तुम, लक्ष्य सदा संधान करें।
    बुद्ध विवेका अनुगामी हम, आशान्वित हैं संतान करें।।

    वेद ऋचाएँ पथ दिखलाते, अध्यन नित्य पुराण करें।…
    राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।…

    पथिक सत्यपथ जो चलता है,धन्य प्रेरणा स्रोत बने।
    संत सुधारक पंथ अँधेरे, स्वयं जलाकर ज्योत बने।।
    तजें तामसिक दुर्गुण सारे, सत्य देहरी द्वार धरे।
    विषम क्षणों में अड़िग रहे हित, संदेशा संचार करे।।

    कर्म संगणक सच्चा भगवन, मूढ़ मृदुल निर्वाण करें।…
    राम राज्य आधार शिला ले,आओ नवनिर्माण करें।।…

    ==डॉ ओमकार साहू मृदुल 19.07.21==

  • सड़क पर कविता

    सड़क पर कविता

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    है करारा सा तमाचा, भारती के गाल पर।…
    रो रही है आज सड़कें, दुर्दशा के हाल पर।।…

    भ्रष्टता को देख लगता, हम हुए आज़ाद क्यूँ?
    आम जनता की कमाई, मुफ्त में बरबाद क्यूँ?
    सात दशकों से प्रजा की, एक ही फरियाद क्यूँ?
    नोट के बिस्तर सजाकर, सो रहे दामाद क्यूँ?
    चोर पहरेदार बैठे, देश के टकसाल पर…
    रो रही है आज सड़के, दुर्दशा के हाल पर…

    मार्ग के निर्माण में तो, घूसखोरी सार है।
    राजनेता सह प्रशासक, मुख्य हिस्सेदार है।
    कान आँखे मूँद लेती, अनमनी सरकार है।
    परिवहन के नाम पर तो, लूट का दरबार है।
    राह तो बनते उखड़ते, दुष्टता की चाल पर…
    रो रही है आज सड़के, दुर्दशा के हाल पर…

    मिट गई पथ की निशानी, पत्थरों में नाम है।
    जीर्ण सड़कों के करोड़ो, कागजों में दाम है।।
    चमचमाती सी सड़क अब, रोपने के काम की।
    है भयावह आँकड़े पर, मौत कहते आम की।।
    आज से अच्छे भले थे, आदिमानव काल पर…
    रो रही है आज सड़कें, दुर्दशा के हाल पर…

    ==डॉ ओमकार साहू मृदुल 18/11/20==

  • हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना)

    हे शारदा तुलजा भवानी (सरस्वती-वंदना)

    सरस्वती
    मां शारदा
    • तमसो मा ज्योतिर्गमय* हरिगीतिका

    हे शारदा तुलजा भवानी, ज्ञान कारक कीजिये।…
    अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर दीजिये।…

    है प्रार्थना नवदीप लेकर, चल पड़े जिस राह में।
    सम्मान पग चूमें पथिक के, हर खुशी हो बाँह में।।
    उत्तुंग पथ में डाल डेरा, नभ क्षितिज की चाह में।
    मन कामना मोती चमकते, चल चुनें हम थाह में।

    जो अंधविश्वासी बनें हैं, मूढ़ की सुध लीजिये।…
    अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर कीजिये।…

    सारांश सुखमय सा लिए जन, त्याग दें छल द्वेष को।
    पट मन तिमिर को मूल मेंटे, ग्राह्य ग्राहक शेष को।
    विज्ञान का वरदान जानें, अंक से अवधेश को।
    सत्कर्म साधक मर्म ज्ञानी, भा रहे रत्नेश को।

    उत्थान जन कल्याण कर शिव, नाथ हाला पीजिये।…
    अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर कीजिये।…

    आरोग्य सेवक स्वस्थ होंगे, लाभप्रद तन योग से।
    तज तामसिक भोजन रहेंगे, मुक्त नाशक रोग से।
    संज्ञान अधिकारी रखे तब, दूर शोषण भोग से।
    ज्ञानेंद्र बन इतिहास गढ़ता, देखिये संजोग से।

    सत्संग की हो बारिशें तो, प्रेमपूर्वक भीजिये।…
    अज्ञानता के तम हरो माँ, भान दिनकर कीजिये।…

    === डॉ ओमकार साहू मृदुल===