नारी रत्न अमूल्य धरा पर(चौपाई छंद)

नारी रत्न अमूल्य धरा पर (चौपाई छंद) नारी रत्न अमूल्य धरा पर।ईश्वर रूप सकल सचराचर।।राम कृष्ण जन्माने वाली।सृष्टि धर्म की सत प्रतिपाली।।१.बेटी बहिन मात अरु दारा।हर प्रतिरूप मनुज उद्धारा।।नारी जग परहित तन धारी।सुख दुख पीड़ा सहे दुधारी।।२.द्वय घर की सब जिम्मेदारी।बिटिया वहन करे वह सारी।।पढ़ी लिखी जब होती नारी।दो दो घर बनते संस्कारी।।३.शान मान अरमान … Read more

छत्तीसगढ़ी कविता – तरिया घाट के गोठ

( यह कविता कुछ ग्रामीण महिलाओं के स्वभाव को दर्शाती है जहाँ उनकी दिखावटीपन, आभूषण प्रियता, बातूनीपन  और  कुछ अनछुए पहलू को बताने की कोशिश की गई है ।)

शहर शहर निर्भया

यह रचना हाथरस में हुई घटना पर तथा लचीली व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है!

दहेज दानव

दहेज सामाजिक बुराई पर आधारित कविता

ओ नारी- मनीभाई नवरत्न

ओ नारी- मनीभाई नवरत्न जिन्दगी चले ना, बिन तेरे ओ नारी!उठा ली तूने,  सिर अपने  ऐसी जिम्मेदारी । मर्दों ने नाहक किये खुद पे ऐतबार ।सच तो यह है कि नारी होती जग की श्रृंगार ।महक ऐसे , फूल जैसे खिल उठे क्यारी क्यारी ।रोशन होता रहे तेरा जी,  फैले ज्ञान की चिनगारी ।। संयमित … Read more