जीवन पर कविता – नीरामणी श्रीवास

सिंहावलोकनी दोहा मुक्तकजीवन जीवन के इस खेल में,कभी मिले गर हार ।हार मान मत बैठिए , पुनः कर्म कर सार ।।सार जीवनी का यही , नहीं छोड़ना आस ।आस पूर्ण होगा तभी , सद्गुण हिय में धार ।। जीवन तो बहुमूल्य है , मनुज गँवाये व्यर्थ ।व्यर्थ मौज मस्ती किया , नहीं समझता अर्थ ।।अर्थ … Read more

जीवन पर कविता – सुधा शर्मा

जीवन में रंग भरने दो – सुधा शर्मा कैसे हो जाता है मन  ऐसी क्रूरता करने को? अपना ही लहू बहा रहे जाने किस सुख वरणे को ? आधुनिक प्रवाह में बहे चाहें जीवन सुख गहे  वासनाओं के ज्वार में यूंअचेतन उमंगित रहे अंश कोख में आते हीविवश क्यों करते मरने को? अंश तुम्हारे शोणित … Read more

जिंदगी पर कविता

जिंदगी पर कविता ज़िंदगी,क्यों ज़िंदगी से थक रही है,साँस पर जो दौड़ती अब तक रही है। मंज़िलें गुम और ये अंजान राहें,कामयाबी चाह की नाहक रही है । भूख भोली है कहाँ वो जानती है!रोटियाँ गीली, उमर ही पक रही है। हो गए ख़ामोश अब दिल के तराने,बदज़ुबानी महफ़िलों में बक रही है। लाश पर … Read more

अपना जीवन पराया जीवन – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

इस रचना में कवि ने जीवन के विभिन्न आयामों की चर्चा की है |इस रचना का विषय है “अपना जीवन पराया जीवन” – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

निज जीवन अपनापन पा लूँ – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

इस कविता में स्वयं के जीवन को दिशा देने का प्रयास किया गया है | इस कविता का विषय है “निज जीवन अपनापन पा लूँ”
निज जीवन अपनापन पा लूँ – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “