होड़ लगी है विश्व में करें इकट्ठा शस्त्र

होड़ लगी है विश्व में करें इकट्ठा शस्त्र होड़ लगी है विश्व में, करें इकट्ठा शस्त्र।राजनीतिक होने लगी,खुले आम निर्वस्त्र।। सीमाएँ जब लाँघता,है सत्ता का लोभ।जन-मन को आक्रांत कर,पैदा करता…

धन्य वही धन जो करे आत्म-जगत् कल्याण

धन्य वही धन जो करे आत्म-जगत् कल्याण धन्य वही धन जो करे, आत्म-जगत् कल्याण।करे कामना धर्म की,मिले मधुर निर्वाण। संग्रह केवल वस्तु का,विग्रह से अनुबंध।सुविचारों की संपदा,से संभव संबंध।। धन-दौलत…

मूर्ख कहते हैं सभी

मूर्ख कहते हैं सभी मूर्ख कहते हैं सभी,उसका सरल व्यवहार है,ज्ञान वालों से जटिल सा हो गया संसार है। शब्द-शिल्पी,छंद-ज्ञाता,अलंकारों के प्रभो!क्या जटिल संवाद से ही काव्य का श्रृंगार है? जो…

दर्द के रूप कविता

दर्द के रूप कविता स्वयं के दर्द से रोना,अधिकतर शोक होता है।परायी-पीर परआँसू,बहे तो श्लोक होता है। निकलती आदि कवि की आह से प्रत्यक्ष भासित है,हृदय करुणार्द्र हो,तब अश्रु पर…

तेरे लिए पर कविता- R R SAHU

तेरे लिए पर कविता दिन की उजली बातों के संग,मधुर सलोनी शाम लिखूँ।रातें तेरी लगें चमकने,तारों का पैगाम लिखूँ।। पढ़ने की कोशिश ही समझो,जो कुछ लिखता जाता हूँ।गहरे जीवन के…

अपराधी इंसान पर कविता- R R Sahu

अपराधी इंसान पर कविता सभी चाहते प्यार हैं,राह मगर हैं भिन्न।एक झपटकर,दूसरा तप करके अविछिन्न।। आशय चाल-चरित्र का,हमने माना रूढ़।इसीलिए हम हो गए,किं कर्तव्य विमूढ़।। स्वाभाविक गुण-दोष से,बना हुआ इंसान।वही…

तदबीर पर कविता – RR Sahu

तदबीर पर कविता रो चुके हालात पे,मुस्कान की तदबीर सोचो,रूह को जकड़ी हुई है कौन सी जंजीर सोचो। मुद्दतें गुजरीं अँधेरों को मुसलसल कोसने में,रौशनी की अब चिरागों में नई…

आर आर साहू के दोहे

आर आर साहू के दोहे ईश प्रेम के रूप हैं,ईश सनातन सत्य।अखिल चराचर विश्व ही,उनका लगे अपत्य ।। कवि को कब से सालती,आई है पर पीर।हम निष्ठुर,पाषाण से,फूट पड़ा पर…

कविता का बाजार- आर आर साहू

कविता का बाजार अब लगता है लग रहा,कविता का  बाजार।और कदाचित हो रहा,इसका भी व्यापार।। मानव में गुण-दोष का,स्वाभाविक है धर्म।लिखने-पढ़ने से अधिक,खुलता है यह मर्म।। हमको करना चाहिए,सच का…

सूरज पर कविता- आर आर साहू

सूरज पर कविता सुबह सबेरे दृश्य लो हुआ अवतरित सूरज फिर क्षितिज मुस्का रहा।गीत जीवन का हृदय से विश्व मानो गा रहा।। खोल ली हैं खिड़कियाँ,मन की जिन्होंने जागकर, नव-किरण-उपहार उनके…