गुरू पूर्णिमा पर कविता -तोषण चुरेन्द्र दिनकर
गुरू पूर्णिमा पर कविता नित्य करें हम साधना,रखें हृदय के पास।ज्ञान रुपी आशीष से,जीवन हो मधुमास।।१।। गुरुवर की पूजा करें,गुरु ही देते ज्ञान।जिनके ही आशीष से,मिले अचल सम्मान।।२।। गुरू नाम ही साधना,साधक बनकर साध।जिनके सुमिरण से सदा,कटे कोटि अपराध।।३।। बनकर रहते सारथी,गढ़ते नित नव राह।जो भी मन की बात हो,पूरी करते चाह।।४।। गुरु महिमा नित … Read more