Tag: #उमा विश्वकर्मा

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ० उमा विश्वकर्मा के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • चटक लाल रोली कपाल

    चटक लाल रोली कपाल

    चटक लाल रोली कपाल

    morning

    चटक लाल रोली कपाल,

    मस्तक पर अक्षत लगा हुआ,

    मुखमंडल पर आभा ऐसी,

    दिनकर जैसे नभ सजा हुआ |

    ये अरुणोदय का है प्रकाश,

    या युवा ह्रदय की प्रबल आस,

    सुर्ख सुशोभित मस्तक पर,

    प्रस्फुटित हुआ जैसे उजास |

    अक्षत रमणीय छवि बिखेरे,

    माणिक को ज्यो कुंदन घेरे,

    लगा लाल के भाल दमकने,

    चला प्रभात करन पग-फेरे |

    विस्मयकारी छटा मनोहर,

    अलौकिक हैं दिव्य रूप धर,

    सुधा कलश से छलकी ऐसे,

    तरल तरंगों में गुंजित स्वर |

    उमा विश्वकर्मा, कानपुर, उत्तरप्रदेश

  • खिली गुनगुनी धूप

    खिली गुनगुनी धूप

    खिली गुनगुनी धूप

    morning

    खिली गुनगुनी धूप, खिल गई अलसाई सी धरती |

    है निसर्ग की माया ये, ऋतुओं ने सृष्टि भर दी |

    लगे चहकने सभी पखेरू, भरने लगे उड़ान,

    लगे महकने सभी प्रसून, महकी हर मुस्कान,

    तितली के पंखों ने दुनिया,

    रंग-बिरंगी कर दी |

    खिली गुनगुनी धूप, खिल गई अलसाई सी धरती |

    पतझर का मौसम बीता, आया अब मधुमास

    कलियों ने आँखें खोली, मधुप की जागी प्यास

    छत की सभी मुंडेरों पर आकर,

    अठखेली सी करती |

    खिली गुनगुनी धूप, खिल गई अलसाई सी धरती |

    मैंने भी अंजुरी में भर ली, आज गुनगुनी धूप,

    आस-पास का सब अँधियारा, डाल दिया है कूप,

    मन वीणा के तारों में,

    इक झंकार सी भरती |

    खिली गुनगुनी धूप, खिल गई अलसाई सी धरती |

    उमा विश्वकर्मा , कानपुर, उत्तरप्रदेश

  • वीणा वादिनी नमन आपको प्रणाम है

    वीणा वादिनी नमन आपको प्रणाम है

    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami
    माघ शुक्ल बसंत पंचमी Magha Shukla Basant Panchami

    शब्द-शब्द दीप की, अखंड जोत आरती |

    प्रकाश पुंज से प्रकाशवान होती भारती |

    खंड-खंड में प्रचंड, दीप्ति विघमान है |

    वीणा वादिनी नमन, आपको प्रणाम है |

    साधकों की साधना में,

    एकता के स्वर सजे,

    आपकी आराधना में,

    साज संग मृदंग बजे |

    कोटि-कोटि वंदनाएं, आपके ही नाम हैं |

    वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |

    नेक काज कर सके,

    हमको ऐसी बुद्धि दो,

    छल कपट से हो परे,

    आत्मा में शुद्धि दो |

    सत्य की डगर में माना, मुश्किलें तमाम हैं |

    वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |

    बुराइयों से हों परे,

    नेकियों का साथ हो,

    मेरे शीश पर सदा,

    आपका ही हाथ हो |

    भोर थी विभोर सी, अब सुहानी शाम है |

    वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |

    सद्भाव की डगर चलें,

    समग्रता सुलभ मिले,

    रहे ज़मीन पर क़दम,

    चाहें सारा नभ मिले |

    उपासना में आपकी, सत्य का ही नाम है |

    वीणावादिनी नमन, आपको प्रणाम है |
    उमा विश्वकर्मा, कानपुर, उत्तरप्रदेश

  • वाणी वंदना : माँ वाणी अभिनंदन तेरा

    वाणी वंदना : माँ वाणी अभिनंदन तेरा

    माँ वाणी, अभिनंदन तेरा,

    करती हिय से, वंदन तेरा,

    दिव्य रूप आँखों में भर लूं,

    तन हो जाये चंदन मेरा |

    माँ वाणी, अभिनंदन तेरा | 

    जीवन अपना, अनुशासित हो,

    परिलक्षित हो, परिभाषित हो,

    इस पर न हो, तम का डेरा |

    माँ वाणी, अभिनंदन तेरा | 

    हम पर माँ, उपकार करो तुम,

    द्वेष मिटा दो, प्रीति भरो तुम,

    बाल सुलभ सा, हो मन मेरा |

    माँ वाणी, अभिनंदन तेरा | 

    पाप, प्रपंच से, दूर रहूँ मै,

    निर्मलता हो, सरल बहूं मैं,

    हो इतना जीवन धन मेरा |

    माँ वाणी, अभिनंदन तेरा | 

    सत्य शाश्वत, सदा रहेगा,

    आने वाला, समय कहेगा,

    सत्य-कर्म हो, जीवन मेरा |

    माँ वाणी, अभिनंदन तेरा |
    _ उमा विश्वकर्मा ,कानपुर, उत्तरप्रदेश

  • जय गणपति जय पार्वती सुत- गणेश स्तुति

    गणपति को विघ्ननाशक, बुद्धिदाता माना जाता है। कोई भी कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न करने के लिए उसके प्रारम्भ में गणपति का पूजन किया जाता है।

    भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन “गणेश चतुर्थी” के नाम से जाना जाता हैं। इसे “विनायक चतुर्थी” भी कहते हैं । महाराष्ट्र में यह उत्सव सर्वाधिक लोक प्रिय हैं। घर-घर में लोग गणपति की मूर्ति लाकर उसकी पूजा करते हैं।

    जय गणपति जय पार्वती सुत- गणेश स्तुति

    जय गणपति, जय पार्वती सुत,

    गजमुख वंदन, अभिनंदन |

    शिव के नंदन, गणनायक,

    एकदंत, मस्तक चंदन |

    जय गणपति, जय पार्वती सुत

    गजमुख वंदन, अभिनंदन |

    भूपति, भुवनपति, प्रथमेश्वर

    वरदविनायक, बुद्धिप्रिय,

    बुद्धिविधाता, सिद्धिदाता

    विघ्नेश्वर तुम, सिद्धिप्रिय |

    सकल जगत में गूँज रहा है,

    आपका ही महिमा मंडन |

    जय गणपति, जय पार्वती सुत

    गजमुख वंदन, अभिनंदन |

    वक्रतुण्ड, कीर्ति, गणाध्यक्ष

    महागणपति, एकाक्षर,

    एकदंत, मूषकवाहन,

    नादप्रतिष्ठित, लंबोदर |

    पीताम्बर पट देह पे सोहे,

    मंगलमूर्ति करें मंगल |

    जय गणपति, जय पार्वती सुत

    गजमुख वंदन, अभिनंदन |

    • उमा विश्वकर्मा , कानपुर, उत्तरप्रदेश