बासुदेव अग्रवाल नमन – गणेश वंदना

गणेश वंदना  मात पिता शिव पार्वती, कार्तिकेय गुरु भ्राता।पुत्र रत्न शुभ लाभ हैं, वैभव सकल प्रदाता।। रिद्धि सिद्धि के नाथ ये, गज-कर से मुख सोहे।काया बड़ी विशाल जो, भक्त जनों को मोहे।।  भाद्र शुक्ल की चौथ को, गणपति पूजे जाते।आशु बुद्धि संपन्न ये, मोदक प्रिय कहलाते।। अधिपति हैं जल-तत्त्व के, पीत वस्त्र के धारी।रक्त-पुष्प से सोहते, भव-भय … Read more

जीवन के दोहों का संकलन

jivan doha

जीवन के दोहों का संकलन 1- है मलीन चादर चढ़ी, अंतः चेतन अंग। समझे तब कैसे भला, हूँ मैं कौन मलंग।। 2- प्रतिसंवेदक कॄष्ण हैं, लिया पार्थ संज्ञान। साध्य विषय समझे तभी, हुआ विजय अभियान।। 3- मैं अनुनादी उम्र भर, अविचारी थे काज। जिस दिन प्रज्ञा लौ जली, समझे तब यह राज।। (मैं – अहंकार) … Read more

भीमराव अम्बेडकर पर दोहे

dr bhimrao ambedkar

भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे।[1] उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। भीमराव अम्बेडकर पर दोहे … Read more

वीरांगना बिलासा बाई वीरगाथा पर दोहे

(वीरांगना बिलासा बाई निषाद की वीर गाथा,जिसके नाम से छ.ग. के सुप्रसिद्ध शहर-बिलासपुर का नाम पड़ा)(जनश्रुति के अनुसार) वीरांगना बिलासा बाई वीरगाथा पर दोहे बहुत समय की बात है,वही रतनपुर राज।जहाँ बसे नर नारि वो,करते सुन्दर काज।।1।।केंवट लगरा गाँव के,कुशल परिश्रमदार।कर आखेटन मत्स्य का,पालत स्व परिवार।।2।।तट देखन अरपा नदी,इक दिन पत्नी साथ।पत्नी बैसाखा कही,लिए हाथ … Read more

अब्र की उपासना

अब्र की उपासना मेरी यही उपासना, रिश्तों का हो बन्ध।प्रेम जगत व्यापक रहे, कर ऐसा अनुबन्ध।। स्वप्रवंचना मत करिये, करें आत्म सम्मान।दर्प विनाशक है बहुत, ढह जाता अभिमान।। लोक अमंगल ना करें, मंगल करें पुनीत।जन मन भरते भावना, साखी वही सुनीत।। नश्वर इस संसार में, प्रेम बड़े अनमोल।सब कुछ बिक जाता सिवा, प्रीत भरे दो … Read more