माँ कुष्माण्डा पर कविता

माँ कुष्माण्डा पर कविता सूर्य मंडल में बसी,अलौकिक कांति भरी,शक्ति पूँज माँ कुष्माण्डा,तम हर लीजिए।अण्ड रूप में ब्रम्हाण्ड,सृजन कर अखण्ड,जग जननी कुष्माण्डा,प्राण दान दीजिए।दुष्ट खल संहारिनी,अमृत घट स्वामिनी,आरोग्य प्रदान कर, रुग्ण दूर कीजिए।शंख चक्र पद्म गदा,स्नेह बरसाती सदा,सृष्टि दात्री माता रानी,ईच्छा पूर्ण कीजिए ✍ सुकमोती चौहान “रुचि”बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

अब्र के दोहे

अब्र के दोहे मस्ताया मधुमास है, गजब दिखाए रंग।फागुन बरसे टूटकर, उठता प्रीत तरंग।। लाया फूल पलाश का, मस्त मगन मधुमास।सेमल-सेमल हो गया, फागुन अबके खास।। काया नश्वर है यहाँ, मत भूलें यह बात।कर्म अमर रहता सदा, भाव जगे दिन रात।। सार्वजनिक जीवन सदा, भेद भाव से दूर।जिनका भी ऐसा रहा, वो जननायक शूर।। होली … Read more

दहेज पर कविता

दहेज पर कविता               बेटी कितनी जल गई ,               लालच अग्नि  दहेज ।क्या जाने इस पाप से ,                 कब होगा परहेज ।।कब होगा परहेज ,              खूब होता है भाषण ।बनते हैं कानून ,            नहीं कर पाते पालन ।।कह ननकी कवि तुच्छ ,    .      रिवाजों की बलि लेटी ।रहती  है  मायूस ,               बैठ  मैके  में  बेटी ।।            … Read more

कुण्डलिया

कुण्डलिया अंदर की यह शून्यता ,                     बढ़ जाये अवसाद ।संशय विष से ग्रस्त मन ,                     ढूढ़े  ज्ञान  प्रसाद ।।ढूढ़े   ज्ञान  प्रसाद ,           व्यथित मन व्याकुल होता ।आत्म – बोध से दूर ,    …     खड़ा    एकाकी    रोता ।।कह ननकी कवि तुच्छ ,             सतत शुचिता  अभ्यंतर ।कृपा  करें  जब  संत ,              बोध  होता  उर  अंदर ।।                    ~  … Read more

मन की जिद ने इस धरती पर कितने रंग बिखेरे

मन की जिद ने इस धरती पर कितने रंग बिखेरे दिन   गुजरे   या   रातें  बीतीं  ,रोज लगाती  फेरे।मन की जिद ने इस धरती पर, कितने रंग बिखेरे।कभी  संकटों  के  बादल ने, सुख  सूरज को घेरा।कभी बना दुख  बाढ़  भयावह  ,मन में डाले डेरा।जिद ही  है जिसने  धरती  पर ,एकलव्य अवतारा।जिद  ही थी जिसने  रावण  को … Read more