सुसंस्कृत मातृभाषा दिवस पर कविता

मातृभाषा दिवस पर कविता अपनी स्वरों में मुझको ‘साध’ लीजिए।मैं ‘मृदुला’, सरला, ले पग-पग आऊँगी।। हों गीत सृजित, लयबद्ध ‘ताल’ दीजिए।मधुरिमा, रस, छंद, सज-धज गाऊँगी।। सम्प्रेषित ‘भाव’ सतत समाहित कीजिए।अभिव्यंजित ‘माधुर्य’, रंग-बिरंगे लाऊँगी।‌। ‘मातृभाषा’ कर्णप्रिया, ‘सुसंस्कृत’ बोलिए।सर्व ‘हृदयस्थ’ रहूँ, ‘मान’ घर-घर पाऊँगी।। – शैलेंद्र नायक ‘शिशिर’

हम किधर जा रहे हैं ?

हम किधर जा रहे हैं क़यास लगाए जा रहे हैं,कि हम ऊपर उठ रहे हैं,क़ायम रहेंगे ये सवालात,कि हम किधर जा रहे हैं? कल, गए ‘मंगल’ की ओर,फिर ‘चंदा-मामा’ की ओर,ढोंगी हो गए, विज्ञानी बन,कब लौटेंगे ‘मनुजता’ की ओर? ‘संस्कृति’, ‘संस्कार’ ठेके पर हैं,‘देश’ और ‘शिक्षा’ ठेके पर हैं,जनता, सिर्फ पेट भरकर खुश है,‘सरकार’, ‘अदालत’ … Read more

सपनो पर कविता

सपनो पर कविता सपनो में सितारे सजने दो,नदियों की धाराएँ बहने दो।शीतल हवाएँ मन की तरंगें,फूलों की खुशबू महकने दो। ऊँचे अरमानों को सजने दो,आकाश में पंछी उड़ने दो।समन्दर की ये सुहानी लहरे,जल में मछलियाँ तैरने दो। नजरों में नजारे रहने दो,पलकों में चाँद उतरने दो।बदले तो बदले ये जमाना,हर किसी को दीवाने रहने दो। … Read more

हमसफ़र पर कविता

हमसफ़र पर कविता प्यार का ओ एहसास हो,हमसफ़र मेरा साथ हो।कठिन रास्ते में निकला हूँ,इस सफर में तू मेरा साथ हो। ओ महफ़िल की रागिनी हो,ओ संगीत की तू वादिनी हो।दिल में बसे हो हमसफ़र,अँधेरे में तू मेरी चाँदनी हो। मेरी हर खुशी में तू साथ हो,दिल से जुड़ी तू खास हो।मेरे हमराही मेरे हमसफ़र,सदा … Read more

पुराने दोस्त पर कविता

पुराने दोस्त पर कविता हम दो पुराने दोस्तअलग होने से पहलेकिए थे वादेमिलेंगे जरूर एक दिन लंबे अंतराल बादमिले भी एक दिन उसने देखा मुझेमैंने देखा उसेऔर अनदेखे ही चले गए उसने सोचा मैं बोलूंगामैंने सोचा वह बोलेगाऔर अनबोले ही चले गए उसने पहचाना मुझेमैंने पहचाना उसेऔर अनपहचाने ही चले गए वह सोच रहा थाकितना झूठा … Read more