तदबीर पर कविता – RR Sahu

तदबीर पर कविता रो चुके हालात पे,मुस्कान की तदबीर सोचो,रूह को जकड़ी हुई है कौन सी जंजीर सोचो। मुद्दतें गुजरीं अँधेरों को मुसलसल कोसने में,रौशनी की अब चिरागों में नई तकदीर सोचो। जुल्मतों ने हर कदम पे जंग के अंदाज बदले,तुम फतह के वास्ते क्या हो नई शमसीर सोचो। कामयाबी के लिए हैं कौन से … Read more

कलयुग के पापी -राजेश पान्डेय वत्स

कलयुग के पापी भूखी नजर कलयुग के पापीअसंख्य आँखों में आँसू ले आई! लालची नजर *सूर्पनखा* कीइतिहास में नाक कटा आई!! मैली नजर *जयंत काग* केनयन एक ही बच पाई!!! बिना नजर के *सूरदास* को*कृष्ण-लीला* पड़ी दिखाई!! नजर में श्रद्धा *मीरा* भरकरतभी गले विष उतार पाई!! तीसरी नजर *शिवशंम्भु* की*कामदेव* को पड़ी न दिखाई!! तकती … Read more

रजनी पर कविता- डा. नीलम की कविता

रजनी पर कविता तारा- जड़ित ओढ़े ओढ़नीधीरे धीरे चाँदनी की नदी में ऐसे उतर रहीजैसे कोई सद्य ब्याहताओढ़ चुनरिया सजना कीसाजन की गलियों मेंधीमे धीमे पग रखतीससुराल की दहलीज़ चली खामोशी में झिंगूरों की झिमिर झिमिर का संगीतकानों में यूं रस घोलेजैसे दुल्हनिया के बिछुए-पायल के घूंघर रुनझुन-रुनझुन पिया के हिय मेंप्रेम- रस घोले । … Read more

नारी की व्यथा पर कविता

महिला (स्त्री, औरत या नारी) मानव के मादा स्वरूप को कहते हैं, जो स्त्रीलिंग है। महिला शब्द मुख्यत: वयस्क स्त्रियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। किन्तु कई संदर्भो में यह शब्द संपूर्ण स्त्री वर्ग को दर्शाने के लिए भी प्रयोग मे लाया जाता है, जैसे: नारी-अधिकार।  नारी की व्यथा पर कविता बरसों पहले आजाद हुआ देशपर अब भी बेटी आजाद … Read more

आर आर साहू के दोहे

आर आर साहू के दोहे ईश प्रेम के रूप हैं,ईश सनातन सत्य।अखिल चराचर विश्व ही,उनका लगे अपत्य ।। कवि को कब से सालती,आई है पर पीर।हम निष्ठुर,पाषाण से,फूट पड़ा पर नीर।। क्रूर काल के कृत्य की,क्रीड़ा कठिन कराल।मानव का उच्छ्वास है,या फुँफकारे व्याल।। लेश मात्र करुणा कभी,जाती छाती चीर।अब वो छाती मर गई,मत रो दास … Read more