सत्य पर कविता
सत्य पर कविता मैं कल भी अकेला थाआज भी अकेला हूंऔर संघर्ष पथ परहमेशा अकेला ही रहूंगा मैं किसी धर्म का नहींमैं किसी दल का नहींसम्मुख आने से मेरेभयभीत होते सभी जानते हैं सब मुझकोपरंतु स्वीकार करना चाहते नहींमैं तो सबका हूंकिंतु कोई मेरा नहीं फिर भी मैं किसी से डरता नहींना कभी झुकता हूंना … Read more