आत्म व्यंग्य पर कविता करती कविता- रेखराम साहू

आत्म व्यंग्य पर कविता आत्म विज्ञापन अधिक तो,लेखनी कमजोर है,गीत गूँगे हो रहे हैं,बक रहा बस शोर है ।। टिमटिमाते बुझ रहे हैं, नेह के दीपक यहाँ।और नफरत का अँधेरा, छा रहा घनघोर है ।। रात रोती, चाँद तारे हैं सिसकते भूख में ।हो गया खामोश चिड़ियों के बिना अब भोर है।। दंभ का झटका … Read more

बाल कविता- धरती पर कविता (आचार्य गोपाल जी)

आज हमारी पर्यावरण संकट में है यदि वृक्षारोपण करके इसका संरक्षण ना किया जाये तो हम सबका भविष्य खतरे में है । इस पर आधारित बाल कविता से यह सीख लीजिये

मां पर कविता

mother their kids

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। मां पर कविता वो दिन भी कितने अच्छे थे । जब हम सब छोटे बच्चे थे । नित मां … Read more

माधुरी मंजरी में सपना पर आधारित कविता – माधुरी डड़सेना मुदिता

सपना पर आधारित कविता आँखों में सपने लिए , बढ़ती मैं हर रोज ।मंजिल मुझे पुकारती , करते मेरी खोज ।। साजन के सपने लिए ,मैं आई ससुराल ।रंग सभी भरने लगे , होती आज निहाल ।। हमने देखा है सजन , सपना सुंदर आज ।जो अपने संबंध हैं , इसकी रखना लाज ।। सपने … Read more

किताब की महत्ता पर रमा की कविता

किताब की महत्ता *किताब* नित किताब को मनुज पढ़, करले अर्जित ज्ञान।दिव्य आचरण तब बने, मिले जगत सम्मान।। सारे किताब श्रेष्ठ हैं, करना मत तू मोल।शिक्षित होने के लिए, दिव्य ज्ञान मन घोल।। पढ़ना लिखना सीख कर, करलो नेकी कार्य।पोथी पठन कर भव में, विद्या कर सिर धार्य।। ज्ञानालय में बैठकर, पढ़ते सभी किताब।विद्या धन … Read more