संस्कारों का आधुनिकीकरण- पद्ममुख पंडा महापल्ली

“संस्कारों का आधुनिकीकरण” बचपन से ही है मेरी नजरसमाज के रहन सहन परखान पान;जीवन शैलीसंस्कारों की है जो धरोहर अपनी संस्कृति है ऐसीसुंदर और मनोहरजो यह कहती हैसंपूर्ण विश्व है अपना घर भारतीय परंपरा मेंसुबह चरण स्पर्श करबच्चे पाठशाला जातेमात पिता के आशीष लेकर पर पाश्चात्य सभ्यता काअब हो रहा है असरजिसका पड़ रहा दुष्प्रभावहमारे … Read more

मेरा गाँव – एस के नीरज

village based Poem

*मेरा गाँव* तपती दुपहरी सूनी सड़कें पेड़ की छाँवयाद आया गाँवगाँव की गलियाँपनघट पर पानी भरती वो छोरियाँलड़कों की टोली तालाब में लोटतेभैंसों की पीठ पर करते हुए सवारी कागज की वो नाँववाह मेरा गाँवयाद आता है ….! सील बट्टे पर पिसाधनिया की चटनी चूल्हे का खाना सुराही का पानी अल्हड़ नादानी नानी की कहानी … Read more

विश्व रिकार्ड के मायने –राजकुमार मसखरे

विश्व रिकार्ड के मायने कोई गीत गा करकोई साज बजा करकोई नृत्य करा करकोई लाखो दीप सजा करकोई ऊँचा रावण जला करकोई कुछ कविता बना करकोई गाड़ी फर्राटे चला कर !अरे मुझे ये तो बताओये विश्व रिकार्ड बना करसमाज को क्या संदेश दिएकिस ग़रीब का भला कियेकिस बेटी का हाथ पीला कियेकिस बीमार का इलाज … Read more

मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ-उपमेंद्र सक्सेना

मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ जिससे अपना मतलब निकला, क्यों मैं उसके लात लगाऊँदुनिया का सिद्धांत अनोखा, मेरी बिल्ली मुझसे म्याऊँ। मगरमच्छ के आँसू गिरते, जब वह सुख से भोजन करताबगुला भगत यहाँ पर देखो,अपनों पर यों कभी न मरता जिस थाली में भोज खिलाया, क्यों मैं उसमें छेद बनाऊँदुनिया का सिद्धांत अनोखा, मेरी बिल्ली मुझसे … Read more

अब तो भर्ती-विनोद सिल्ला

अब तो भर्ती अब तो भर्ती खोलिए, बहुत हुआ सरकार। पढ़-लिखकर हैं घूमते, युवा सभी बेकार।। नयी-नयी नित नीतियां, सत्ता ने दी थोप।रोजगार की खोज में, चले युवा यूरोप।। जितना जो भी है पढ़ा, दे दो वैसा काम।वित पोषण हो देश का, सुखी रहे आवाम।। पढ़-लिखकर भी बन रहे, मजबूरन मजदूर। ठोकर दर-दर खा रहे, … Read more