माँ शारदे पर कविता

माँ शारदे पर कविता (देव घनाक्षरी) नमन मात शारदेअज्ञानता से तार देकरुणा की धार बहामुख में दो ज्ञान कवल।। वीणा पुस्तकधारिणीभारती ब्रह्मचारिणीशब्दों में शक्ति भरदोवाणी में दो शब्द नवल।। हंस की सवारी करेतमस अज्ञान हरेरोशन जहान करेपहने माँं वस्त्र धवल।। अज्ञानी है माता हमकरिए दोषों को शमज्ञान का दान कर दोबढ़ जाएगा बुद्धि बल।। ✍️ … Read more

मैं भी सांता क्लाॅज

मैं भी सांता क्लॉज क्रिसमस डे को सुबह सवेरे मैं भी निकला बन ठन कर सांता क्लॉज के कपड़े पहन चलने लगा झूम झूम कर पीठ पर लिया बड़ा सा थैला खिलौने रख लिए भर भर कर लंबी दाढ़ी पर हाथ फेरते मैं चला बच्चों की डगर पहुँचा क्रिसमस पार्टी में जब बच्चों की तैयारी … Read more

पैसों के आगे सब पराया

मुश्किल समय में नहीं आता है; अपने ही अपनो के काम होगा। आगे चलकर भुगतना पड़ता है; ऊँचे से ऊँचे मोल का दाम होगा।1। मोल पैसों का नहीं संस्कार का है; प्यार से करो बात मन में जगता आस। माता-पिता और गुरु से मिले जो संस्कार; कभी ना खोना धैर्य मन में रखो विश्वास।2। मुश्किल … Read more

जिम्मेदारी पर कविता

कविता-जिम्मेदारियां जिम्मेदारियां एक बोझ है ढोने वाले पर लद जाते हैं, ना ढोने वाले को नासमझ/ नालायक/ आवारा लोग कह जाते हैं, जिम्मेदारियां, जीवन का एक पहलू है बिना जिम्मेदारी के जीवन जानवर का बन जाते हैं , जिम्मेदारियों से घबड़ाना/ चिल्लाना/ कभी नहीं परेशानियां तो इनके संग ही आते हैं, जिम्मेदारियों से अपनो में … Read more

वक्त पर कविता

वक्त पर कविता पलटी खाता वक्त बेवक्त, मुंह बिचका के चिढ़ाता है। किया धरा पानी फिराता, वक्त ओंधे मुंह गिराता है।। सगा नहीं किसी का वक्त, हर वक्त चलता रहता है। कभी धूप कभी छांव सा, स्वरूप बदलता रहता है।। कच्ची धूप ओस की बूंद, प्रकृति को निहलाती है। तेज़ धूप झुलसाती तपन, अंत में … Read more