महिमा वीर नारायण के

महिमा वीर नारायण के महिमा वीर नारायण के ये,जे भुइँया म भारी जी। सोनाखान हवय हमरो ,बलिदानी के चिन्हारी जी। जन-जन के हितवा बनके,जे बेटा बिताईन जी। धन के लोभी छलिया मन ल,निसदिन यही सताइन जी। माल खजाना लूट लूट के, निर्धन मन ल दान करे। भांज अपन तलवार ल मेंछा,म साहस के ताव भरे। … Read more

तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना

तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना तरी हरी नाना मोर नरी हरी नाना रे सुवाना। पिया ला सुना देबे मोर गाना तरी हरी नाना। बेर उथे फेर , बेरा जुड़ाथे, रातके मोरे नीदियां उड़ाथे, अतक मया, मय काबर करें जतक करें ओतक तरसाथे। डाहर बैरी के देखत सुवाना जान डारिस सारा जमाना। तरी हरी … Read more

गौ सिरतोन ईमान

गौ सिरतोन ईमान जबले मारे गोरी नैइना के बान। जीना मोर होगे कठिन हो गय परेशान । (गौ सिरतोन ईमान) x 2 ले गय मोर जान गौ सिरतोन ईमान. मय नइ आये पाछु ,सुनले बेईमान । मया करे बर तय हो गय अघुआन । (गौ सिरतोन ईमान) x 2 ले गय मोर जान गौ सिरतोन … Read more

मोला मया हे तोर से बड़ रे

ए देखत कि तोला का होगै मोला। मोर जिया करे फड़ फड़ रे। मोला मया हे तोर से बड़ रे। जहां जावा तोला पावा तोर पाछु मय ह आवा। का सुनावा, का बतावा रे। तोर मोहनी सूरत देखके मयतो मरमरजावा रे। तोर सुरता ऐसे लागे मैं ठहरो बेरा भागे। मोर काम बुता नई होवे रीता … Read more

गुरू घासीदास जी पर हिंदी कविता

गुरू घासीदास छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले के गिरौदपुरी गांव में पिता महंगुदास जी एवं माता अमरौतिन के यहाँ अवतरित हुये थे गुरू घासीदास जी सतनाम धर्म जिसे आम बोल चाल में सतनामी समाज कहा जाता है, के प्रवर्तक थे। विकिपीडिया गुरू घासीदास जी पर हिंदी कविता चलसंगी गुणगान गाबो, घांसीबबा के।गुरु के नांव बगराबो, सतनाम … Read more