विश्व ही परिवार है- आर आर साहू

विश्व ही परिवार है- आर आर साहू --------------- परिवार -------------ऐक्य अपनापन सुलभ सहकार है,इस धरा पर स्वर्ग वह परिवार है।मातृ,भगिनी, पितृ,भ्राता,रुप में,शक्ति-शिव आवास सा घर-द्वार है।बाँटते सुख-दुःख हिलमिल निष्कपट,है प्रथम…

विधाता छंद मय मुक्तक- फूल

विधाता छंद मय मुक्तक- फूल छंद रखूँ किस पृष्ठ के अंदर,अमानत प्यार की सँभले।भरी है डायरी पूरी,सहे जज्बात के हमले।गुलाबी फूल सा दिल है,तुम्हारे प्यार में पागल।सहे ना फूल भी…
hasdev jangal

प्रकृति से खिलवाड़ का फल – महदीप जंघेल

प्रकृति से खिलवाड़ और अनावश्यक विनाश करने का गंभीर परिणाम हमे भुगतना पड़ेगा। जिसके जिम्मेदार हम स्वयं होंगे। समय रहते संभल जाएं। प्रकृति बिना मांगे हमे सब कुछ देती है।उनका आदर और सम्मान करें। संरक्षण करें।
hasdev jangal

प्रकृति से खिलवाड़/बिगड़ता संतुलन-अशोक शर्मा

भौतिकता की होड़ में मानव ने प्रकृति के साथ बहुत छेड़छाड़ की है। अपने विकास की मद में खोया मानव पर्यावरण संतुलन को भूल गया है। इस प्रकार के कृत्यों से ही आज कोरोना जैसी महामारी से मानव जीवन के अस्तित्व खतरे में दिख रहा है।