Author: कविता बहार

  • नई भोर हुई – सुशी सक्सेना

    . नई भोर हुई – सुशी सक्सेना

    नई भोर हुई, नई किरन जगी।
    भूमि ईश्वर की, नई सृजन लगी।

    नई धूप खिली, नई आस पली,
    ओढ़ के सुनहरी चुनरी प्रकृति हंसी,
    नया नया सा आकाश है, नये नज़ारे,
    नववर्ष में कह दो साहिब, हम तुम्हारे
    सुनकर जिसे, मन में तपन लगी।

    नववर्ष में है, बस यही मनोकामना,
    दंश झेले जो हमने पहले, पुनः आएं ना,
    नई खुशियों का, मिलकर करें स्वागत,
    नये अवसरों से होकर, हम अवगत,
    जमीं पर ही उड़ने की लगन लगी।

    एक नया वादा, खुद से कर लें आज,
    उत्साह से करें नये जीवन का आगाज़,
    नई प्रेरणा हों, नई नई हों मंजिलें,
    सच्चाई के साथ हम नई राहों पर चलें,
    कर्मपथ पर चलने में दुनिया मगन लगी।

    सुशी सक्सेना

  • कोरोना पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

    कोरोना पर कविता

    कोरोना फिरि फैलि रहो है, बाने देखौ केते मारे
    काम नाय कछु होय फिरउ तौ, निकरंगे घरि से बहिरारे।

    मुँह पै कपड़ा नाय लगाबैं, केते होंय रोड पै ठाड़े
    बखरिन मै मन नाय लगत है, घरि से निकरे काम बिगाड़े
    जाय किसउ की फसल उखाड़ैं, खेतन कौ बे खूब उजाड़ैं
    कोऊ उनसे नाय कछु कहै, बात- बात पै बे मुँह फाड़ैं

    समझु न आबै उनै नैकहू, उनके तौ मन एते कारे
    काम नाय कछु होय फिरउ तौ, निकरंगे घरि से बहिरारे।

    धन्नो की रोबै महतारी, जब उखड़ै बाकी तरकारी
    बाकी सुनै नाय अब कोऊ, दइयर लागत हैं अधिकारी
    बइयरबानी देबैं गारी, होत खूब है मारा -मारी
    डर लागत है उनिके जौंरे, काम करत हैं जो सरकारी

    हाय पुलिस की मिली भगति से, जिनने अपुने घरि भरि डारे
    काम नाय कछु होय फिरउ तौ, निकरंगे घरि से बहिरारे।

    केते बइयर भूखे बइठे, जलैं न उनिके घरि मै चूले
    कागद पै सबु काम होत हैं, नेता बादे करिके भूले
    रामकली की बटियन मैऊ,काऊ ने है आगि लगाई
    बाके कंडा सिगरे जरि गै, मट्टी मै मिलि गयी कमाई

    नाजायज जो खूब दबाबै, उनिके  आगे केते हारे
    काम नाय कछु होय फिरउ तौ, निकरंगे घरि से बहिरारे।

    सरकारी स्कूल जो खुलो, बामै मुनिया -बालक पठिबै
    होबत नाय पढ़ाई कछुअइ, मास्टरन की अच्छी कटिबै
    पपुआ की तौ हियाँ लुगाई, उनिके चक्कर मैं जब आई
    भूलि गयी खानो- पीनो सब,लगै न कोई बाय दबाई

    कोरोना से डर काहे को, नैन लड़ंगे जब कजरारे
    काम नाय कछु होय फिरहु तौ,निकरंगे घरि से  बहिरारे।

    रचनाकार- ✍️उपमेंद्र सक्सेना एड०
    ‘कुमुद- निवास’
    बरेली( उ० प्र०)
    मोबा- नं०- 98379 44187

    ( सर्वाधिकार सुरक्षित)

  • अटल बिहारी वाजपेई जी पर कविता

    अटल बिहारी वाजपेई जी पर कविता

    अटल बिहारी वाजपेई जी पर कविता

    atal bihari bajpei
    अटल बिहारी वाजपेयी


    25 दिसंबर,1924 को, ग्वालियर की पवित्र भूमि पर,
    एक दिव्य पुत्र ने जन्म लिया।
    धन्य हुई भारत की धरती, भारतरत्न जो आए थे।

    राजनीति के प्रखर प्रवक्ता, भारतरत्न से सम्मानित थे,
    हिंदी कवि और पत्रकार के रूप में भी वो जाने जाते हैं।
    चार दशक तक राजनीति में जो सक्रिय भूमिका निभाए थे,
    दो बार प्रधानमंत्री बनने वाले, वो अटल बिहारी कहलाए थे।

    पोखरण में परमाणु परीक्षण कर, भारत को शक्ति संपन्न बनाने वाले थे,
    सौ साल पुरानी कावेरी जल विवाद को सुलझाने वाले थे,
    वो अटल बिहारी थे जिसने आर्थिक विकास को ऊंचाई पर पहुंचाए,
    थे अटल अपनी हर बात पर, राष्ट्रधर्म को अपनाए थे,
    बड़ा लगाव था बिहार से उनका, कहते थे फक्र से वो,
    आप केवल बिहारी हो, मैं तो अटल बिहारी हूं।

    कुंवारे नहीं, अविवाहित थे, भीष्म पितामह कहलाते हैं,
    राजकुमारी कौल से प्रेमकथा को, कविता में बतलाते हैं।
    नमिता भट्टाचार्य को दत्तक पुत्री स्वीकार किए,
    भारत मां की सेवा में ही जीवन वे व्यतीत किए।
    भारत को लेकर उनकी दृष्टि, भूख, भय, निरक्षरता से मुक्त बनाना था,
    लेकिन उनका यह सपना भी आज तक अधूरा है।

    उनके काव्यसंग्रह में ऊर्जा का भरमार है,
    बचपन से ही देशहित के प्रति उनका रुझान था।
    उनकी कविता पराजय की प्रस्तावना नहीं, जंग का ऐलान है,
    वे हारे हुए सिपाही का नैराश्य निनाद नहीं, जूझते योद्धाओं का विजय संकल्प हैं।
    वे निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष हैं,
    हारते सैनिकों के दृढ़ निश्चय के जोश हैं।

    हे वीर पुरुष! आपकी गाथा का कैसे मैं गुणगान करूं?
    गाथाएं आपकी, आत्मविश्वास मुझमें भर देती है।
    हे कविवर और अमर पुरुष, रचनाएं आपकी मुझको भी आकर्षित करती है।
    शत शत नमन है आपको, हमारा प्रणाम स्वीकार करें।
    सत्यमार्ग सदा ही अपनाएंगे, भारत का मान बढ़ाएंगे।
    ………………………………………………………………
    सृष्टि मिश्रा (सुपौल,बिहार)

  • तुलसी पूजा पर दोहा – हरीश बिष्ठ

    तुलसी पूजा पर दोहा – हरीश बिष्ठ

    तुलसी पूजा पर दोहा

    देवलोक से देवता, करते नित्य प्रणाम |
    तुलसी का जग में सदा, सबसे ऊँचा नाम ||

    जिस घर में तुलसी रहे, रोग रहें सब दूर |
    उस घर में आती सदा, खुशहाली भरपूर ||

    तुलसी घर में लाइए, करिये रोज प्रयोग |
    स्वस्थ रहे तन-मन सदा, दूर रहे सब रोग ||

    तुलसी को पूजें सभी, रोज नवायें शीश |
    सम्मुख रहती है खड़ी , सबकी सच्ची ईश ||

    तुलसी का पूजन करें, रोज सुबह अरु शाम |
    तन को मिलती ताजगी, मन को दे आराम ||

    घर-घर में सबके मिले , रामा-श्यामा नाम |
    गुणकारी है औषधी, आती सबके काम ||

    तुलसी की महिमा बड़ी, जग में अपरम्पार |
    दूर करे सब व्याधियाँ, करती जन उपकार ||

    हरीश बिष्ट “शतदल”
    स्वरचित / मौलिक
    रानीखेत || उत्तराखण्ड ||

  • भारत रत्न अटल जी जन्मदिन पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

    भारत रत्न अटल जी जन्मदिन पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

    भारत रत्न अटल जी जन्मदिन पर कविता

    atal bihari bajpei
    अटल बिहारी वाजपेयी

    भारत के प्रधानमंत्री बनकर थे दुनिया में छाए
    राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
    💐💐
    सन् उन्निस सौ चौबीस में,पच्चीस दिसंबर का दिन आया
    कृष्ण बिहारी जी के घर में, लिया जन्म सबका मन भाया
    मूल निवास बटेश्वर में था, जुड़े ग्वालियर से वे इतने
    लिख डालीं ऐसी कविताएँ, भाव-विभोर हुए थे कितने
    💐💐
    गए कानपुर पिता संग दोनों एल एल.बी. करके आए
    राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
    💐💐
    सन् उन्निस सौ सत्तावन में पहली बार हुए निर्वाचित
    दिल्ली में संसद तक पैदल जाना उनको लगा न अनुचित
    पैसे पास नहीं थे उनके, रिक्शे का दे कौन किराया
    राज किया लोगों के मन पर, भेदभाव को यहाँ मिटाया
    💐💐
    मानवता के संरक्षक ने, मानव मूल्य सदा अपनाए
    राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
    💐💐
    तेरह दिन, फिर तेरह मास, और फिर पाँच साल की सत्ता
    राजनीति की धुरी रहे वे, सचमुच सर्वश्रेष्ठ थे वक्ता
    पत्रकार,साहित्यकार, संपादक थे वे सचमुच ऐसे
    पूरा जीवन संघर्षों से तपा बने वे कुंदन जैसे
    💐💐
    ‘भारत- रत्न’ बाजपेयी जी, की महिमा को कौन न गाए
    राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
    💐💐
    जोड़ा सत्ता से सेवा को, जनहित में सब किया समर्पित
    कालजयी वे गीतकार थे, उन पर भारत- वासी गर्वित
    जब वे बने विदेश मंत्री, कोई दुश्मन नजर न आया
    थे संवेदनशील इसलिए, दीन- दु:खी को गले लगाया
    💐💐
    अद्भुत साहस का परिचय दे, मिटा दिए आतंकी साए
    राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
    💐💐
    रचनाकार -उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

    (सर्वाधिकार सुरक्षित)