कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

काम पर कविता/ सुकमोती चौहान

काम पर कविता लाख निकाले दोष, काम होगा यह उनका।उन पर कर न विचार, पाल मत खटका मन का।करना है जो काम, बेझिझक करते चलना।टाँग खींचते लोग, किन्तु राही मत रुकना।कुत्ते सारे भौंकते, हाथी रहता मस्त है।अपने मन की जो…

बसंत ऋतु / राजकुमार मसखरे

बसंत ऋतु

राजा बसंत / राजकुमार मसखरे आ…जा आ…जाओ,हे ! ऋतुराज बसन्त,अभिनंदन करते हैं तेरा, अनन्त अनन्त ! मचलते,इतराते,बड़ी खूबसूरत हो आगाज़,आओ जलवा बिखेरो,मेरे मितवा,हमराज़ ! देखो अब ये सर्दियाँ, ठिठुरन तो जाने लगी,यह सुहाना मौसम, सभी को है भाने लगी !…

वसंत ऋतु / डा मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘

बसंत ऋतु

वसंत ऋतु / डा मनोरमा चंद्रा ‘ रमा ‘ आया वसंत आज, भव्य ऋतु मन हर्षाए। खिले पुष्प चहुँ ओर, देख खग भी मुस्काए।। मोहक लगे वसंत, हवा का झोंका लाया। मादक अनुपम गंध, धरा में है बिखराया।। आम्र बौर…

चार के चरचा/ डा.विजय कन्नौजे

चार के चरचा*****4*** चार दिन के जिनगी संगीचार दिन के‌ हवे जवानीचारेच दिन तपबे संगीफेर नि चलय मनमानी। चारेच दिन के धन दौलतचारेच दिन के कठौता।चारेच दिन तप ले बाबूफेर नइ मिलय मौका।। चार भागित चार,होथे बराबर गण सुन।चार दिन…

मकर संक्रांति आई है / रचना शास्त्री

patang subh makar sankranti

मकर संक्रांति आई है / रचना शास्त्री मगर संक्रांति आई है। मकर संक्रांति आई है। मिटा है शीत प्रकृति में सहज ऊष्मा समाई है। उठें आलस्य त्यागें हम, सँभालें मोरचे अपने । परिश्रम से करें पूरे, सजाए जो सुघर सपने…