तीन कविताएं
तीन कविताएं 1बाहें फैलायेमांग रही दुआएँ,भूल गया क्यामेरी वफ़ाएँ!ओ निर्मोही मेघ!इतना ना तरसा,तप रही तेरी वसुधाअब तो जल बरसा! 2बूंद-बूंद को अवनी तरसे,अम्बर फिरभी ना बरसे!प्यासा पथिक,पनघट प्यासाप्यासा फिरा, प्यासे डगर से!प्यासी अँखिया पता पूछे,पानी का प्यासे अधर से!बूंद-बूंद को अवनी तरसेअम्बर फिरभी ना बरसे! 3प्रदूषण से कराहती,शांत हो गई है!कहते हैं … Read more