Author: कविता बहार

  • सिर पर है चुनाव

    सिर पर है चुनाव

    बीच बवंडर गोते खाती, फंस गई जैसे ना
    कुछ ऐसा माहौल बना है, सिर पर है चुनाव
    उबड़ खाबड़ गड्ढे वाले, अब दिखते है गांव
    ये अब तो मुद्दा है भैया, सिर पर है चुनाव
    अपनी मांगे हमको तुम , झट से बतलाव
    लगे हाथ झट पूरी होंगी,सिर पर है चुनाव
    बरसों से है गांव अंधेरा, खम्भे भी लगवाव
    फौरन अपने सरपंच से, सिर पर है चुनाव
    हाथ हिलाने वाले अब तो, पड़ते सबके पाँव
    अजब गजब महिमा है, जय जय हो चुनाव

    अनिल (अभिअन्नु) महासमुंद

  • स्वयंसिद्धा

    स्वयंसिद्धा

    देहरी को लाँघने ,
    साहस सदा तुममें रहा,
    अधिकार के सत्कार में
    कर्तव्य की कारा बना,
    क्यूँ  प्रश्न वाचक तुम बनी,
    अवधारणा को तोड़
    खोल पाँखे खोल
    है तू सदा से ही ,
    जगतनियन्ता ने बनाया
    सृष्टि के आदि से,
    पुराण, वेद, उपनिषद्
    कालातीत से कालांतर
    गढ़ा है ,सुझाया,
    जन्म जन्मातर से हो
    देवी तुम,
    स्वयंसिद्धा।

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    डॉ मीता अग्रवाल रायपुर छत्तीसगढ़
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  • बेटा-बेटी में भेद क्यों पर कविता

    बेटा-बेटी में भेद क्यों पर कविता

    सागर होते हैं बेटे, तो गंगा होती है बेटियां
    चांद होते हैं बेटे, तो चांदनी होती हैं बेटियां
    जग में दोनों ही अनमोल फिर भेद कैसा।।
    कमल होते बेटे,तो गुलाब होती हैं बेटियां
    पर्वत होते बेटे, तो चट्टान होती हैं बेटियां
    जग में दोनों ही अनमोल फिर भेद कैसा।।
    पेड़ होते हैं बेटे,तो धरा होती हैं बेटियां
    मेघ होते हैं बेटे, तो धरा होती हैं बेटियां
    जग में दोनों ही अनमोल फिर भेद कैसा।।
    फूल होते हैं बेटे, तो खुशबू होती हैं बेटियां
    बर्फ होते हैं बेटे, तो ओस की बूंद होती है बेटियां
    जग में दोनों ही अनमोल फिर भेद कैसा।।
    जग संचालक बेटे,तो जन्मदात्री होती हैं बेटियां
    कुल के रक्षक बेटे, तो कुल की देवी होती बेटियां।।
    जग में दोनों ही अनमोल फिर भेद कैसा।।

    क्रान्ति, सीतापुर सरगुजा छग
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  • अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दोहे

    अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दोहे

    नारी से है सुख  मिला, नारी से सम्मान।
    बिन नारी घर घर नही, लगता है सुनसान ।।1

    नारी को सम्मान दो, नारी मात समान ।
    नारी से घर स्वर्ग है, सब पर देती जान ।।2

    बिन घरनी के घर नहीं, बिना पुरुष परिवार ।
    स्त्री पुरुष का साथ रहे, जीवन देत सवार ।।3

    सुख दुःख की है संगिनी, देती प्यार दुलार ।
    नारी घर की मान है, सुखी रहे परिवार ।।4

    महिला विश्व दिवस मना, सभी होत खुशहाल ।
    देते सभी बधाइयां, नारी होत निहाल ।।5

    डॉ. अर्चना दुबे ‘रीत’

  • मोबाइल महाराज

    मोबाइल महाराज

    जय हो तुम्हारी हे मोबाइल महाराज
    तकनीकि युग के तुम ही हो सरताज
    बिन भोजन  दिन कट जाता है
    पर तुम बिन क्षण पल नहीं न आज।
    हे मोबाइल तुम बिन सुबह न होवे
    तुम संग आॅनलाइन रह सकें पूरी रात
    गुडमार्निंग से लेकर गुडनाइट का सफर
    मैसेज में ही होती अच्छी बुरी हर बात।
    हर पल आरजू मोबाइल महाराज की
    मिलता नहीं बेकरार दिल को चैन
    ललक रहती जाने कौन संदेशा आयो
    मोबाइल से हसीन मेरे दिन रैन।
    कक्षा में हूँ जाती पढ़ाने बिन मोबाइल जग सून
    दिल सोचता काश मेरे पास भी जेब होता
    घर्र घर्र  काँप कर अपना एहसास दिलाता
    अवसर पाते ही मेरे सामने नया संदेशा होता।
    छुट्टी होते ही मोबाइल की पहली तमन्ना
    हाथ में विराजते हैं मोबाइल महाराज
    बस फिर तो रम जाते हम तन मन से
    भूल जाते  हम सारे जरूरी काम काज।
    गाड़ी चलाते समय बगल में हमारे
    सुशोभित रहते मोबाइल महाराज
    लाल बत्ती का भी सदुपयोग करते
    व्हाटसअप खोलने से नहीं आते बाज।
    घर आकर खाना सोना देता नहीं आराम
    मोबाइल को नहीं देते पल भर भी विश्राम
    नींद सताए तो तकिए में मोबाइल रहता साथ
    मोबाइल ही साथी अपना मोबाइल अपना धाम।
    कुसुम लता पुंडोरा
    आर के पुरम
    नई दिल्ली
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