जब मैं तनहा रहता हूँ। खुद से बातें करता हूँ । सुख की,दुख की । छांव की, धुप की । गलतियों पर सीख लेता हूँ । कसम खाता हूँ आगे से, इन्हें ना दुहराने की । जीत पर बधाई देता हूँ । उत्साह बढ़ाता हूँ, नित आगे बढ़ने की । कारनामे गढ़ने की । मुश्किलों से लड़ने की । एक तारा आसमाँ में जड़ने की । कभी जो वायदे किए जिन्दगी से, उन्हें निभाता हूँ । धीमी चाल तेज करता हूँ । चलते चलते फिर कहीं खो जाता हूँ । हृदय की उर्वरा भू पर, स्वप्नों के बीज बोता हूँ । उसे हकीकत होता सोच मुस्कुराता हूँ । हाँ बड़ा अच्छा लगता है मुझे, जब मैं तनहा रहता हूँ ।
23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में याद किया जाता है और भारत में मनाया जाता है। इस दिन 1931 को तीन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव थापर को अंग्रेजों ने फांसी दी थी।
महात्मा गांधी की स्मृति में। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी की हत्या कर दी गयी थी। महात्मा गांधी के सम्मान में 30 जनवरी को राष्ट्रीय स्तर पर शहीद दिवस मनाया जाता है।
वतन पर कविता
आओ झुक कर सलाम करें उन्हें जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है। बड़े खुशनसीब हैं वो जिनका खून वतन के काम आता है ।
फिक्रमंद हैं वे हमारे लिए निस्वार्थ सेवा में हमें बता दिया। कितना लगाव है उनको हमसे उनके त्याग ने यह जता दिया । अब आदत हो गई हमारी कि हर पल लबों में उन्हीं का नाम आता है । बड़े खुशनसीब हैं वो जिनका खून वतन के काम आता है।
बहुत कम होते हैं जिसने सर्वस्व राष्ट्र पर लुटा दिया । खून का एक एक कतरा सींचकर जन्मभूमि का ऋण चुका दिया । बेकार न जाता है कोई बलिदान हर शहादत पर एक अंजाम आता है बड़े खुशनसीब हैं वो जिनके खून वतन के काम आता है ।
उनकी कुर्बानी ने सबकी सोई आत्मा जगा दी । मन के अंधियारें में देश प्रेम की ज्योति जला दी । उनकी वीरता की तारीफ जुबान में अब सरेआम आता है । बड़े खुशनसीब है वो जिनका खून वतन के काम आता है.
डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
“शिक्षक दिवस मनाने का यही उद्देश्य है कि कृतज्ञ राष्ट्र अपने शिक्षक राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के प्रति अपनी असीम श्रद्धा अर्पित कर सके और इसी के साथ अपने समर्थ शिक्षक कुल के प्रति समाज अपना स्नेहिल सम्मान और छात्र कुल अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके।
प्रशिक्षण लेना हे संगी
मोर ईस्कूल रहे सबले बढ़िया । यहां के लइका रहय सबले अगुआ । तेकर बर टाइम देना हे संगी। प्रशिक्षण लेना हे संगी।
प्रशिक्षण में सीख थन खेल खेल म विज्ञान । प्रशिक्षण के बात हे दूसरा यह बात ला जान । रिकिम-रिकिम मॉडल में ध्यान देना हे संगी। प्रशिक्षण लेना हे संगी।
लइका के हर बात के उत्तर फटाक ले देना हे। प्रवचन कर ले अब काम नई बने। कर के ही बताना हे। तैंइहा के गोठ ल बैइंहा लेगे
मोबाइल के जमाना हे संगी । प्रशिक्षण लेना हे संगी । धन दौलत सकलई सबो ल मिलथे। ज्ञान पाय के संजोग कभू कभार मिलथे।
परस के पैसा सिरा जाही गियान आय ले नई जाए रे संगी । प्रशिक्षण लेना हे संगी । दु झन गुरु जी गोठियात रहे प्रशिक्षण कर करके चुन्दी झर गे।
यहां के बात संगी इस्कूल जात ले काबर सरगे। सीखना हे सिखाना हे करके हामन ला दिखाना हे संगी । प्रशिक्षण लेना हे संगी ।
विश्व कविता दिवस (अंग्रेजी: World Poetry Day) प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।
अभी और लिखने हैं – मनीभाई नवरत्न
अभी और लिखने हैं इतिहास के पन्नों में । कुछ क्रांति ,कुछ शांति के शब्द। अभी और होगा एलान ए जंग । तब धरा होगी शांत और स्तब्ध ।
अभी चिंगारी फूटने को है मस्तिष्क में प्रवाह बड़ेगा अभी नैन अश्क में तब तो होगा रात्रि से दिवस आगमन गूंजेगी तभी सतयुग के शब्द ।
गुलामी की जंजीर टूट चुकी पर लोग अभी भी हैं हवालात में । वे पहले से और असहाय लग रहे हैं वे बंध चुके राजनीति के करामात में । लिखते-लिखते लेखनी भी हो रही है छुब्ध। पर अभी और लिखने हैं…..
अप्रैल फूल दिवस पश्चिमी देशों में प्रत्येक वर्ष पहली अप्रैल को मनाया जाता है। कभी-कभी इसे ऑल फ़ूल्स डे के नाम से भी जाना जाता हैं। 1 अप्रैल आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है परन्तु इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है जब एक दूसरे के साथ व्यावाहारिक परिहास और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें की जाती हैं। इस दिन मित्रों, परिजनों, शिक्षकों, पड़ोसियों, सहकर्मियों आदि के साथ अनेक प्रकार की नटखट हरकतें और अन्य व्यावहारिक परिहास किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य होता है। बेवकूफ और अनाड़ी लोगों को शर्मिंदा करना।
अप्रैल फूल दिवस पर कवितायेँ
अप्रैल फूल मनाना चाहिए
कभी-कभार हंसने हंसाने का, लोगों को बहाना चाहिए। हां!अपनों से मूर्ख बनके, अप्रैल फूल मनाना चाहिए।
यूं कब तक जिन्दगी को, गंभीरता से जीते रहेंगे। इसे तो बेफिकरे बनके , बिंदास बिताना चाहिए। हां अपनों से मूर्ख बनके, अप्रैल फूल मनाना चाहिए।
हम सीखते हैं धोखा खाने से, जो सीखा न पाती ढेरों पोथी। जिन्दगी में सही-गलत का सबब धोखा खाके आजमाना चाहिए। हां अपनों से मूर्ख बनके, अप्रैल फूल मनाना चाहिए।
छोड़ते नहीं जो पुरानी बातें बन जाते हैं वे हंसी के पात्र। “मूर्ख दिवस”का इतिहास बताये समय के साथ ढल जाना चाहिए।
हां अपनों से मूर्ख बनके, अप्रैल फूल मनाना चाहिए।
(रचयिता:-मनी भाई पटेल नवरत्न )
प्रस्तुत कविता मुबारक हो मुर्ख दिवस आशीष कुमार मोहनिया के द्वारा रचित है । इस कविता के माध्यम से 1 अप्रैल मूर्खता दिवस की मुबारकबाद दे रहे हैं और अपने मित्र के साथ हुई कॉमिक घटना का वर्णन कर रहे हैं।
मुबारक हो मूर्ख दिवस
सोचा एक दिन मन ने मेरे कर ठिठोली जरा ले हँस। थोड़ी सी करके खुराफात हम भी मना ले मूर्ख दिवस।
योजना बना ली चुपके से इंतज़ार था दिवस का बस। दाना डालूँगा मित्र को मैं पंछी जायेगा जाल में फँस।
मना बॉस को फोन कराया होने वाला है तेरा उत्कर्ष। खुशखबरी सुन ले मुझसे तू है तेरा कल तरक्की दिवस।
पहुँचा सुबह ही मित्र के घर देने को बधाई उसे बरबस। हाथ थमाकर उपहार बोला मुबारक हो तरक्क़ी दिवस।
आवभगत कर मुझे बिठाया फिर लाया कोई ठंडा रस। बोला वो गर्मी दूर भगा ले ना रख तू कोई कशमकश।
तैर रहा था बर्फ का टुकड़ा गर्मी ने किया पीने को विवश। काली मिर्च का घोल था वो पिया समझ कर गन्ने का रस।
जलती जिह्वा ने शोर मचाया सामने से मित्र ने दिया हँस। बोला कर ली थोड़ी सी चुगली मुबारक हो यार मूर्ख दिवस।
बहुत हुआ हँसी मजाक तेरा चल यार तू अब दिल से हँस। तरक्की की खबर सुनकर तेरी लाया हूँ जो ले खोलकर हँस।
हँसते-हँसते खोला उपहार मुक्के पड़े उसको कस-कस। मुँह पकड़ कर बैठा फिर नीचे हुआ नहीं जरा भी टस से मस।
तरक्की दिवस तो था बहाना बाबू हँस सके तो जोरों से हँस। दिल की अंतरिम गहराइयों से मुबारक हो तुम्हें भी मूर्ख दिवस।