प्रशिक्षण लेना हे संगी छत्तीसगढ़ी कविता

डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

“शिक्षक दिवस मनाने का यही उद्देश्य है कि कृतज्ञ राष्ट्र अपने शिक्षक राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के प्रति अपनी असीम श्रद्धा अर्पित कर सके और इसी के साथ अपने समर्थ शिक्षक कुल के प्रति समाज अपना स्नेहिल सम्मान और छात्र कुल अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके।

विद्यार्थी पर कविता

प्रशिक्षण लेना हे संगी

मोर ईस्कूल रहे सबले बढ़िया ।
यहां के लइका रहय सबले अगुआ ।
तेकर बर टाइम देना हे संगी।
प्रशिक्षण लेना हे संगी।


प्रशिक्षण में सीख थन खेल खेल म विज्ञान ।
प्रशिक्षण के बात हे दूसरा यह बात ला जान ।
रिकिम-रिकिम मॉडल में ध्यान देना हे संगी।
प्रशिक्षण लेना हे संगी।


लइका के हर बात के उत्तर फटाक ले देना हे।
प्रवचन कर ले अब काम नई बने।
कर के ही बताना हे।
तैंइहा के गोठ ल बैइंहा लेगे


मोबाइल के जमाना हे संगी ।
प्रशिक्षण लेना हे संगी ।
धन दौलत सकलई सबो ल मिलथे।
ज्ञान पाय के संजोग कभू कभार मिलथे।


परस के पैसा सिरा जाही
गियान आय ले नई जाए रे संगी ।
प्रशिक्षण लेना हे संगी ।
दु झन गुरु जी गोठियात रहे प्रशिक्षण कर करके चुन्दी झर गे।

यहां के बात संगी इस्कूल जात ले काबर सरगे।
सीखना हे सिखाना हे
करके हामन ला दिखाना हे संगी ।
प्रशिक्षण लेना हे संगी ।

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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