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राह निहारूं माई- सन्त राम सलाम

यहाँ मान पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है।

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माँ पर कविता

राह निहारूं माई – सन्त राम सलाम


सांझ सबेरे तेरी,,,,,,,,
राह निहारूं माई,,,,,,,,,
मुझे छोड़-छोड़ मां तू, कहां चली जाती है।

पलना कठोर भारी,,,,,,,
लगता बड़ा जोर है,,,,,,,,,,,
रोज-रोज आते ही मुझे, बांहों में ऊठाती है।

भूख लगती जोर से,,,,,,
तब दूध तू पिलाती है,,,,,,,,,,
मुन्ना राजा चुप हो जा, लोरी जो सुनाती है।

चंदा मामा दूध के,,,,,,,,
कटोरा ले कर आएगा,,,,,,,,,,
मेरे मम्मी रात-रात ,कहानी को बताती है।

मेरा मुन्ना राजा बेटा,,,,,,,,
दुलार बहुत जताती है,,,,,,,,,,
थोड़ी सी गुस्सैल ,थोड़ी-थोडी मुस्कराती है।

निन्दिया आंखों में मेरे,,,,,,,
जब आके बस जाती हैं,,,,,,,,,
जागी-जागी बैठी-बैठी ,रात तू पहाती है।

माई तेरी आंचल प्यारी,,,,,,,,
धरती से बहुत भारी है,,,,,,,,,,,,
नौ माहीने कोख में रखे ,पल-पल गुजारी है।

सांझ सबेरे तेरी,,,,,,,,,,
राह निहारूं माई,,,,,,,,,,
मुझे छोड़-छोड़ मां तू ,कहां चली जाती है।

सन्त राम सलाम
भैंसबोड़ (बालोद), छत्तीसगढ़।

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