Category हिंदी आरती

मुझे तेरे करम का एहसास हो – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में कवि उस खुदा के करम और रहम का एहसास कर रहा है |
मुझे तेरे करम का एहसास हो - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

शिव स्तुति

इन्द्रवज्रा/उपेंद्र वज्रा/उपजाति छंद

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'प्रस्तुत कविता शिव स्तुति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

तेरे चरणों में पुष्प बनकर मैं बिखर जाऊं तो अच्छा हो- कविता

इस कविता के माध्यम से कवि उस खुदा/परमात्मा की इबादत में खुद को भूल जाना चाहता है ।
तेरे चरणों में पुष्प बनकर मैं बिखर जाऊं तो अच्छा हो- कविता - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

हिंदी संग्रह कविता-फिर से नवजीवन का विहान

फिर से नवजीवन का विहान जग-जीवन में जो चिर-महान्,सौन्दर्य-पूर्ण औ’ सत्य-प्राण मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ,जो हो मानव के हित समान। जिससे जीवन में मिले शक्ति,छूटे भय, संशय, अंधभक्ति, मैं वह प्रकाश बन सकूँ, नाथ,मिल जाएँ जिसमें अखिल व्यक्ति। पाकर…

माघ शुक्ल शीतला छठि पर कविता

माघ शुक्ल शीतला छठि पर कविता माघ शुक्ल की छठि तिथी ,से ठंडी का अन्त ।इसे शीतला छठि कहें ,जानकार सब सन्त।।इस छठि का व्रत लाभप्रद,नारी को है खास।दैहिक-दैविक ताप से,मुक्ती बिना प्रयास।।मातु शीतला की कृपा,संतति करे प्रदान।देता है सौभाग्य…

शिव में शक्ति पर कविता

शिवशक्ति की वंदना प्रस्तुत कविता शिव में शक्ति पर कविता भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

ज्ञान दो वरदान दो माँ

ज्ञान दो वरदान दो माँ सत्य का संधान दो।बिंदु से भी छुद्रतम मैंकृपा का अवदान दो। अवगुणों को मैं समेटेमाँ पतित पातक हूँ मैं।मोह माया से घिरा हूँ,निपट पशु जातक हूँ मैं।अज्ञानता मन में बसाये ।अहम,झूठी शान हूँ मैं।लाख मुझ…

शारदा-वंदन :मात नमन हम करें सदा ही

शारदा-वंदन :मात नमन हम करें सदा ही मात नमन हम करें सदा ही,हमें बौद्धिक दान दो।पढ़ लिख सीखें तमस मिटाएँ,ज्ञान का वरदान दो।अज्ञानता को दूर कर माँ,ज्ञान का पथ भान दो।पित,मात,गुरु सेवा करूँ माँ ,भाव संगत मान दो। मात शारदे…

महा देश का ग्रंथ महाभारत

महा देश का ग्रंथ महाभारत अवसर मिलता सर्वदा,पर मन का अभिमान।आलस और प्रमाद सेनही सकें पहचान।।तब गुरुवर, गणनाथ मिलि,पथ की दें पहचान।जो जाने वे कर लिए ,निज हित करके ध्यान।।हर मानव का ध्येय हो,पूजा तीन प्रकार।पित्र, गुरू और देव का…