Category दिन विशेष कविता

विश्व रंगमंच दिवस पर प्रियदर्शन की कविता

World Theatre Day: विश्व रंगमंच दिवस हर साल 27 मार्च को मनाया जाता है. विश्व रंगमंच दिवस उत्सव एक ऐसा दिन है जो रंगमंच को समर्पित है. विश्व रंगमंच दिवस पर प्रियदर्शन की कविता कुर्सियां लग चुकी हैंप्रकाश व्यवस्था संपूर्ण…

जनचेतना दिवश पर कविता

करोना काल में लोग किस तरह से परेशान हुए जनता की वेदना को महसूस किया गया और उसको कविता के रूप में लिखा गया है यह मौलिक अप्रक्षित रचना मेरे द्वारा लिखी गयी है |

जिन्दगी पर कविता – पुष्पा शर्मा

जिन्दगी का मकसद रोज सोचती हूँ।जिन्दगी का मकसदताकती ही रहती हूँमंजिल की लम्बी राह। सोचती ही रहती हूँप्रकृति की गतिविधियाँ,जो चलती रहती अविराम।सूरज का उदय अस्तरजनी दिवस का निर्माण। रात का अंधियारा करता दूरचाँद की चाँदनी का नूर।तारों की झिल…

आज भी बिखरे पड़े हैं – गंगाधर मनबोध गांगुली

आज भी बिखरे पड़े हैं – गंगाधर मनबोध गांगुली         गंगाधर मनबोध गांगुली ” सुलेख “           समाज सुधारक ” युवा कवि “ कल तक बिखरे पड़े थे ,           आज भी बिखरे पड़े हैं ।अपने आप को देखो ,             हम कहाँ पर खड़े…

तटरक्षक दिवस पर कविता

 हर साल 1 फरवरी को मनाया जाता है। 1 फरवरी 1977 को भारत में एक अंतरिम तटरक्षक संगठन के गठन का निर्णय लिया गया। तटरक्षक या तटरक्षक बल एक नौसेना के समान सैन्य या अर्द्ध-सैन्य संगठन होता है, परन्तु इसका मुख्य कर्तव्य आतंकवाद और अपराध से…

पोस्टर ब्वाय लगते हैं -अनिल कुमार वर्मा

पोस्टर ब्वाय लगते हैं -अनिल कुमार वर्मा बैनर छाप लोग नेता नहीं, पोस्टर ब्वाय लगते हैं -अनिल कुमार वर्मा जब से प्लास्टिक फ्लेक्स का चलन हुआ है तब से इसका उपयोग बहुत ज्यादा हो गया है। जन्मदिन, उत्सव, त्यौहार, स्वागत…

शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता

यहाँ पर शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता दिए गये हैं आपको कौन सी अच्छी लगी , नीचे कमेंट बॉक्स पर जरुर लिखें शीत ऋतु का आगमन घिरा कोहरा घनघोरगिरी शबनमी ओस की बूंदेबदन में होने लगीअविरत ठिठुरन ओझल हुई आंखों…

happy new Year

नववर्ष पर हिंदी कविता

इस वर्ष नववर्ष पर कविता बहार द्वारा निम्न हिंदी कविता संकलित की गयी हैं आपको कौन सा अच्छा लगा कमेंट कर जरुर बताएं नववर्ष पर हिंदी कविता : महदीप जँघेल निशिदिन सुख शांति की उषा हो,न शत्रुता, न ही हो…

अशक्तता पर विजय – आशीष कुमार

प्रस्तुत हिंदी कविता का शीर्षक "अशक्तता पर विजय" है जो कि आशीष कुमार मोहनिया, बिहार की रचना है. इसे अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के उपलक्ष्य में दिव्यांग व्यक्ति के स्वाभिमान पूर्वक जीवन जीने की ललक एवं चेष्टा को आधार मानकर लिखा गया है.