Category हिंदी कविता

प्रेरणा दायक कविता – लो आज बज उठी रणभेरी

प्रेरणा दायक कविता – लो आज बज उठी रणभेरी माँ कब से खड़ी पुकार रही पुत्रो निज कर में शस्त्र गहोसेनापति की आवाज हुई तैयार रहो, तैयार रहोआओ तुम भी दो आज विदा अब क्या अड़चन अब क्या देरी?लो आज…

struggle

सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी

सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी न हो साथ कोई, अकेले बढ़ो तुम,सफलता तुम्हारे चरण चूम लेगी।। सफलता….. सदा जो जगाये बिना ही जगा है,वही बीज पनपा पनपना जिसे था।घुना क्या किसी के उगाये उगा है,अगर उग सको तो उगो सूर्य…

पीर दिल की छुपाने की जरूरत क्या है – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

इस कविता के माध्यम से कवि जिन्दगी को बेहतर तरीके से जीने को प्रेरित कर रहा है |
पीर दिल की छुपाने की जरूरत क्या है - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता " अंजुम "

हिमालय कर रहा हुंकार है – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

इस कविता में कवि ने प्राकृतिक आपदाओं के माध्यम से मानव को जागृत करने की एक कोशिश की है |
हिमालय कर रहा हुंकार है - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता " अंजुम "

सस्ते क्यों इतने कफ़न हो गए – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

इस कविता में आज के वर्तमान सामाजिक परिदृश्य को चरितार्थ करने की एक कोशिश की गयी है |
सस्ते क्यों इतने कफ़न हो गए - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता " अंजुम "

प्रेरणा दायक कविता – हिम्मत कभी न हारो

प्रेरणा दायक कविता – हिम्मत कभी न हारो तुम मनुष्य हो, शक्ति तुम्हारे जीवन का संबल है।और तुम्हारा अतुलित साहस गिरि की भाँति अचल है।तो साथी केवल पल भर को माया मोह बिसारो। हिम्मत… मत देखो कितनी दूरी है, कितना…

प्रायश्चित- मनीभाई नवरत्न

प्रायश्चित- मनीभाई नवरत्न हम करते जाते हैं कामवही जो करते आये हैंया फिर वो ,जो अब हमारे शरीर के लिएहै जरूरी। इस दरमियानकभी जो चोट लगेया हो जाये गलतियां।तो पछतावा होता है मन मेंजागता है प्रायश्चित भाव। वैसे सब चाहते…

कभी सोचा न था- कविता – महदीप जंघेल

राज्य और देश में अभी कोरोना महामारी फैला हुआ है।
सब लोग परेशान है। कई लोगो की दुनिया उजड़ चुकी है।लोग अपनो को खो चुके है। अतः घर में रहे सुरक्षित रहे।
अपने आत्मविश्वास को मजबूत रखे। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे। हम सभी मिलकर कोरोना को जरूर हराएंगे।
जरूर हारेगा कोरोना।

प्रेरणा दायक कविता – बढ़े चलो

प्रेरणा दायक कविता – बढ़े चलो न हाथ एक शस्त्र हो, न साथ एक अस्त्र हो,न अन्न, नीर, वस्त्र हो, हटो नहीं डटो वहीं बढ़े चलो…. रहे समक्ष हिम-शिखर, तुम्हारा प्रण उठे निखर,भले ही जाए तन बिखर, रुको नहीं, झुको…

शीर्षक – मेरा प्यार( हिंदी कविता) रचयिता सुशील कुमार राजहंस

शीर्षक - मेरा प्यार ( हिंदी कविता)
आज के प्रेम और पुराने प्रेम में अंतर और सोच का नजरिया
रचयिता सुशील कुमार राजहंस