Category हिंदी कविता

धनतेरस पर कविता

धनतेरस पर कविता अमृत कलश के धारक,सागर मंथन से निकले।सुख समृद्धि स्वास्थ्य के,देव आर्युवेद के विरले।चार भुजा शंख चक्र,औषध अमृत कलश धारी।विष्णु के अवतार हैं देव,करें कमल पर सवारी।आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि,हैं आरोग्य के देवता।कार्तिक त्रयोदशी जन्म हुआ,कृपा करें धनदेवता।पीतल…

रेंगा प्रतियोगिता : सुख व दुःख जीवन के दो रूप

रेंगा प्रतियोगिता दिनांक : 13 मई 2017 सुख व दुःखजीवन के दो रूपछाँह व धूप □ प्रदीप कुमार दाश दीपकदोनों रहते साथकर्मों के अनुरूप □ मधु सिंघीसच्चे हों कर्मसब तो तेरे हाथफिर क्यों चुप □ मनीलाल पटेलप्रकृति के नियमदुःख के…

लाभ – हानि पर कविता – मनीभाई नवरत्न

लाभ – हानि पर कविता – मनीभाई नवरत्न कितने लाभ और कितने हानि-मनीभाई नवरत्न बादल से गिरतीअमृत बनकर पानी।प्यास फिर बुझातीअपनी धरती रानी । फुटते कली शाखों परबगिया बनती सुहानी ।आती फिर धरा मेंनित नूतन जवानी । छम छम करतीसुनो…

छत्तीसगढ़ी कविता – तरिया घाट के गोठ

( यह कविता कुछ ग्रामीण महिलाओं के स्वभाव को दर्शाती है जहाँ उनकी दिखावटीपन, आभूषण प्रियता, बातूनीपन  और  कुछ अनछुए पहलू को बताने की कोशिश की गई है ।)

छत्तीसगढ़ी कविता – जड़कल्ला के बेरा

जड़कल्ला के बेरा -छत्तीसगढ़ी कविता आगे रे दीदी, आगे रे ददा, ऐ दे फेर जड़कल्ला के बेरा।गोरसी म आगी तापो रे भइया , चारोखुँट लगा के घेरा॥ रिंगीचिंगी पहिरके सूटर,नोनी बाबू ल फबे हे।काम बूता म,मन नई लागे, बने जमक…

कोरोना को नहीं बुलाओ

कोरोना को नहीं बुलाओ पटाखों का मोह छोड़कर दीवाली में दीप जलाओ।प्रदूषण फिर से फैलाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।। हरसाल दिवाली आयेगी हम सबको यह हर्षायेगी।खुशियों पर पैबंद लगाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।। बच्चे, बुजुर्ग और जवान हमारे घर की…

अगले जनम मोहे बिटिया ना बनाए

अगले जनम मोहे बिटिया ना बनाए बचपन में ही मेरी डोर थी बांधीतब मैं उसे समझ ना पाई॥पर बाद में पता चला कि,यह राह तो मुझे शैतान तक है ले आयी॥ पढ़ाई करने की उम्र मेंमेरी शादी है रचाई॥विदा कर…

कोरोना या करमा

कोरोना या करमा नर मे वास करें नारायणनारी में नारायणी ,हे मानव॥स्वयंम को समझअपने कर्मों को तू बदल॥ चांद ,सूरज, पृथ्वी ,गगनसब अपने कार्य में है मगन॥नीति देखो रे मनुष्य कीजो खो गई जाने किस भवन॥ रोज सवेरे स्नान करे…

कलयुग और रामायण

कलयुग और रामायण सतयुग की हम बात सुनावे राजा दशरथ के पुत्र यहां है ॥ राम जिसका है नाम प्रतापी गायॆ सब मुनिवर उनकी वाणी॥ कलयुग में जो खेल रचा है हर मनुष्य सबसे जुदा है॥ स्वार्थ से  यहां इंसान…