हिंदी कविता

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रचना/सुशी सक्सेना

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रचना/सुशी सक्सेना नारी की गौरव गाथा/सुशी सक्सेना प्रसिद्ध बड़ी है जग में, नारी की गौरव गाथा है। हर रूप में प्यार हमें देती है, ये हमारी माता है। अपनी भारत माता पर, मुझे है अभिमान बहुत…

जलती धरती/डॉ0 रामबली मिश्र

जलती धरती/पूनम त्रिपाठी

जलती धरती/पूनम त्रिपाठी धरती करे पुकार मानव सेमुझे न छेड़ो तुम इंसानबढ़ता जाता ताप हमाराक्यों काटते पेड़ हमारापेड़ काट रहा तू इंसानजलती धरती सूखे नलकूपसूरज भी आग बरसाएबादल भी न पानी लायेमत उजाड़ो मेरा संसारधरती का बस यही पुकारमै रूठी…

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रचना / डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रचना / डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी नारी को जो शक्ति समझता।उसको सबसे ऊपर रखता।।इक नारी में सकल नारियां।भले विवाहित या कुमारियां।। प्रबल दिव्य भाव का सूचक।सारी जगती का संपोषक।।नारी श्रद्धा भव्य स्रोत है।मूल्यवान गतिमान पोत है।।…

JALATI DHARATI

जलती धरती/श्रीमती शशि मित्तल “अमर”

जलती धरती/श्रीमती शशि मित्तल “अमर” आओ कुछ कर लें प्रयासधरती माँ को बचाना है,दूसरों से नहीं रखें आसस्वयं कदम बढ़ाना है,देख नेक कार्य सब आएं पाससबमें चेतना जगाना है। ईंट कंक्रीट का बिछा कर जालवनों को कर दिया हलालअपनी धरा…

जलती धरती/डॉ0 रामबली मिश्र

जलती धरती/डॉ0 रामबली मिश्र

जलती धरती /डॉ0 रामबली मिश्र सूर्य उगलता है अंगारा।जलता सारा जग नित न्यारा।।तपिश बहुत बढ़ गयी आज है।प्रकृति दुखी अतिशय नराज है।। मानव हुआ आज अन्यायी।नहीं रहा अब वह है न्यायी।।जंगल का हत्यारा मानव।शोषणकारी अब है दानव।। नदियों के प्रवाह…

वेतन पर कविता / स्वपन बोस “बेगाना”

वेतन पर कविता कर्म करों फल मिलेगा मेहनत तो महिना भर हों गया, फिर वेतन कब मिलेगा ।सूनों सहाब डालोगे वेतन,समय पर तभी तो फिर कर्म का सुंदर फूल खिलेगा। सूनों सहाब हम कर्मचारियों की कहानी, हमें बस एक तारीख…

पतझड़ और बहार/ राजकुमार 'मसखरे'

पतझड़ और बहार/ राजकुमार ‘मसखरे’

पतझड़ और बहार/ राजकुमार ‘मसखरे’ ये  घुप अंधेरी  रातों मेंधरा को  जगमग करने दीवाली आती जो जगमगाती ! सूखते,झरते पतझड़ मेंशुष्क  जीवन  को रंगनेवो होली में राग बसंती गाती  ! झंझावत, सैलाब लिएजब  पावस दे दस्तक,तब फुहारें मंद-मंद मुस्काती !…

Hindi Poem Collection on Kavita Bahar

जलती धरती /रितु झा वत्स

“जलती धरती” नामक कविता, जिसे रितु झा वत्स द्वारा रचा गया है, एक व्यक्तिगत अनुभव को अभिव्यक्ति देती है। इस कविता में, रचनाकार ने जलती धरती के माध्यम से मानव जीवन के अनेक पहलुओं को व्यक्त किया है। धरती की…

पर्यावरण की रक्षा

जलती धरती/ आशा बैजल

आशा बैजल की जलती धरती नामक हिंदी कविता में विभिन्न भावनाओं और संवेदनाओं को समाहित है। “जलती धरती” एक कविता है जो धरती की संताप और विपदाओं को बयान करती है। “जलती धरती” में, कविताकार धरती के विभिन्न प्राकृतिक विपदाओं…

पशु-पक्षियों की करुण पुकार

पशु-पक्षी हमारे मित्र होते है। उन्हें प्यार,दुलार देना एवं उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है । लेकिन हम मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए उन्हें मार देते है।हमे ये नही भूलना चाहिए कि पर्यावरण का संतुलन बनाने में उनका अहम योगदान होता है।यदि उनकी क्षति होती है ,तो हम भी नही बच पाएंगे। इस कविता के माध्यम से मूक प्राणियों की करुण पुकार है।