Category हिंदी कविता

तेरे लिए पर कविता- R R SAHU

तेरे लिए पर कविता दिन की उजली बातों के संग,मधुर सलोनी शाम लिखूँ।रातें तेरी लगें चमकने,तारों का पैगाम लिखूँ।। पढ़ने की कोशिश ही समझो,जो कुछ लिखता जाता हूँ।गहरे जीवन के अक्षर की थाह कहाँ मैं पाता हूँ।। है विराट अस्तित्व…

जिंदगी पर कविता -नरेन्द्र कुमार कुलमित्र

जिंदगी पर कविता आज सुबह-सुबहमित्र से बात हुईउसने हमारेभलीभांति एक परिचित कीआत्महत्या की बात बताईमन खिन्न हो गया जिंदगी के प्रतिक्षणिक बेरुखी-सी छा गईसुपरिचित दिवंगत का चेहराउसके शरीर की आकृतिहाव-भावमन की आँखों में तैरने लगा किसी को जिंदगी कम लगती…

बेटी की व्यथा पर कविता -दूजराम -साहू

बेटी की व्यथा पर कविता करूण रस – अब न जन्मूँ “वसुंधरा” में, कर जोर विनती कह रही !सूर – कबीरा के “धरा” में,देखो “बेटी” जुल्म सह रही !! यहाँ – वहाँ, जाऊँ – कहाँ, पग – पग में बैठा…

बेटियों के नसीब में कविता- डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’

बेटियों के नसीब में कविता बेटियों के नसीब में, जलना ही है क्याकाँटे बिछे पथ पर चलना ही है क्या विषम परिस्थितियों में ढलना ही है क्यासबके लिए खुद को बदलना ही है क्या धोखा छल-प्रपंच में छलना ही है…

कहां पर खो गया हिंदुस्तान?- शिवराज सिंह चौहान

कहां पर खो गया हिंदुस्तान? खुदा खौफ खाए बैठे,भयभीत भये भगवान।ये कैसा हो गया हिंदुस्तान,कहां पे खो गया हिंदुस्तान।। कोख में बैठी बेटी भी,ये सोच सोच घबराए।जन्म से लेकर मरण तलक,सब नोच नोच कर खाएं।।चिंताओं से घिरी हुई,वो ढूंढ रही…

कुण्डलिया की कुण्डलियाँ- कन्हैया साहू ‘अमित’

कुण्डलिया की कुण्डलियाँ। ********************************कुंडलिया लिख लें सभी, रख कुछ बातें ध्यान।**दोहा रोला जोड़ दें, इसका यही विधान।**इसका यही विधान,आदि ही अंतिम आये।**उत्तम रखें तुकांत, हृदय को अति हरषाये।**कहे ‘अमित’ कविराज, प्रथम दृष्टा यह हुलिया।**शब्द चयन है सार, शिल्प अनुपम कुंडलिया।*…

बलात्कार पर कविता

बलात्कार पर कविता हो रहे इन बलात्कारों का सबसे बड़ा जिम्मेदार।फिल्म, सीरियल मीडिया और विज्ञापन बाजार। अर्धनग्न तस्वीरों को मीडिया और इंटरनेट परोसता है।बालमन छुप-छुपकर इसमें ही अपना सुख खोजता है। फिल्मी गानें और नाच बच्चों को उकसाते हैं।विज्ञापन में…

अपराधी इंसान पर कविता- R R Sahu

अपराधी इंसान पर कविता सभी चाहते प्यार हैं,राह मगर हैं भिन्न।एक झपटकर,दूसरा तप करके अविछिन्न।। आशय चाल-चरित्र का,हमने माना रूढ़।इसीलिए हम हो गए,किं कर्तव्य विमूढ़।। स्वाभाविक गुण-दोष से,बना हुआ इंसान।वही आग दीपक कहीं,फूँके कहीं मकान।। जन्मजात होता नहीं,अपराधी इंसान।हालातों से…

तुम धरा की धुरी -एल आर सेजु थोब ‘प्रिंस’

तुम धरा की धुरी नारी तुम धरा की धुरीतुम बिन सृष्टि अधूरीमूरत तुम नेह स्नेह, वात्सल्यतुम ममतामयी, तुम करुणानिधि । माँ, बहन, बेटी और पत्नीतुम हर रूप की अवतारीचली हर कदम पुरुष के साथबन जीवन रथ की धुरी । त्याग…

तदबीर पर कविता – RR Sahu

तदबीर पर कविता रो चुके हालात पे,मुस्कान की तदबीर सोचो,रूह को जकड़ी हुई है कौन सी जंजीर सोचो। मुद्दतें गुजरीं अँधेरों को मुसलसल कोसने में,रौशनी की अब चिरागों में नई तकदीर सोचो। जुल्मतों ने हर कदम पे जंग के अंदाज…