मिल कर दिवाली को मनाएँ हम- प्रवीण त्रिपाठी
मिल कर दिवाली को मनाएँ हम चलो इस बार फिर मिल कर, दिवाली को मनाएँ हम।* *हमारा देश हो रोशन, दिये घर-घर जलाएँ हम।* *मिटायें सर्व तम जो भी, दिलों में है भरा कब से।* *करें उज्ज्वल विचारों को, खुरच…
मिल कर दिवाली को मनाएँ हम चलो इस बार फिर मिल कर, दिवाली को मनाएँ हम।* *हमारा देश हो रोशन, दिये घर-घर जलाएँ हम।* *मिटायें सर्व तम जो भी, दिलों में है भरा कब से।* *करें उज्ज्वल विचारों को, खुरच…
आस का दीपक जलाये रखने की शिक्षा दीपावली की पावन बेलामहकी जूही, खिल गई बेलाधनवंतरि की रहे छायानिरोगी रहे हमारी कायारूप चतुर्दशी में निखरे ऐसेतन हो सुंदर मन भी सुधरे महालक्ष्मी की कृपा परस्परहम सब पर हरदम ही बरसेमाँ लक्ष्मी…
मन पर कविता रे मेरे मन ,ये तू क्या कर रहा है ,जो तेरा नहीं उसके लिए तू क्यों रो रहा है? दफन कर दे अपने सीने में, अरमानों को ,जो सागर की लहरों की तरह, हिलोरे ले रहा है ,यादों को आंखों में संजोकर रख, जो…
मैं नन्हा दीपक हूँ मैं जग का नन्हा दीपक हूँ ।। मैं निर्भय होकर जलता हूँ ।। निपट अकेला कोई होता ।चिंताओ में जब है खोता ।।रक्षक बन जाता हूँ उसका ,मैं अपलक जगता रहता हूँ ।।मैं जग का नन्हा…
स्नेह का दीप पर कविता जगमग हो जाए हर कोनाहरेक चीज लगे अब सोनाहर दुख का हो जाय शमनभर जाए खुशियों से दामनअंधियारा जग से मिट जाएएक स्नेह का दीप जलाए।। ???विश्व में शांति का प्रसार…
इस दिवाली कुछ ऐसा कर देना हे ऐश्वर्य की देवी ! कल्याणकारिणी तुझे प्रणाम !एक निवेदन मेरी सुन लो ,लाया हूं विकट पैगाम , तुझसे कोई अछूता नहीं ,फिर गरीबो को क्यूं छूता नही ,तेरी महिमा अपरंपार ,तेरी चरणों मे समृद्धि…
दीपक हो उदास गर दीपक हो उदास तो दीप कैसे जलाऊ……उन्यासी बरस की आजादी काक्या हाल हुआ उनकी बर्बादी का,सत्ता के लुटेरे देखे,बेरोजगारी की बार झेलेभष्ट्राचारी, लाचारी,भुखमरी का,क्या अब राग सुनाऊ…..दीप कैसे जलाऊ।अपने ही करते आएअपनो पर आहत,लाख करू जतन मिलती नही राहतकैसे…
धनतेरस त्यौहार पर कविता धन की वर्षा हो सदा,हो मन में उल्लास तन स्वथ्य हो आपका,खुशियों का हो वास जीवन में लाये सदा,नित नव खुशी अपारधनतेरस के पर्व पर,धन की हो बौछार सुख समृद्धि शांति मिले,फैले कारोबाररोशनी से रहे भरा,धनतेरस…
दीप से दीप जले दिल से दिल मिले ,दीप से दीप जले |दिवाली मे हर मुख मुस्कान खिले |हर घर हो रोशनी से जगमग |घर गरीबो हो खुशिया दीप से दीप जले |मिट्टी घर ही नहीं झोपड़ी उजाला रहे |बच्चे…
मिट्टी के दीया पर कविता एक दीया मिट्टी का जलाएँ l …