माता के नवराते पर कुंडलियाँ
नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन…
नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन…
चटनी पर कविता चटनी लहसुन पीसना,लेना इसका स्वाद।डाल टमाटर मिर्च को,धनिया रखना याद।। अदरक चटनी रोज ले,भागे दूर जुकाम।खाँसी सत्यानाश हो,करते रहना काम।। चटनी खाना आम की,मिलकर के परिवार।उँगली अपनी चाट ले,मुँह में आवे लार।। चंद करेला पीसकर,खाना इसको शूर।गुणकारी…
कोरोना पर दोहे विद्यालय सब बंद है,कोरोना का घात।नर नारी सब मास्क पर,कहते डर की बात।। हाथ विचारे देख के,रहते हैं चुपचाप।नहीं बताते कुछ हमें,कोरोना पर आप।। कोरोना के काट का,खोज करो सब आज।मरे नहीं कोई यहाँ,होवे खूब इलाज।। आवत…
संस्कृति पर कविता अपनी संस्कृति अपनाओ,अपना अभिवादन अपनाओ!जब भी मिले दूसरो से ,हाथ जोड़ मुस्कुराओ !!हाथ जोड़ मुस्कुराओ,कोरोना दूर भगाओ!हाथ धोये साबुन सेथोड़ा न घबराओ !!कहे दूजराम पुकार के ,सावधानी अपनाओ!खांसते मास्क लगाओकोरोना दूर भगाओ !! दूजराम साहूनिवास -भरदाकलातहसील -खैरागढ़जिला-…
शृंगार छंद विधान श्रेष्ठ हो मेरा हिन्दुस्तान आरती चाह रही है मात।भारती अंक मोद विज्ञात।सैनिको करो प्रतिज्ञा आज।शस्त्र लो संग युद्ध के साज। विश्व मानवता हित में कर्म।सत्य है यही हमारा धर्म।आज आतंक मिटाना मीत।विश्व की सबसे भारी जीत। पाक…
साजन पर कविता मंद हवा तरु पात हिले,नचि लागत फागुन में सजनी।लाल महावर हाथ हिना,पद पायल साजत है बजनी।आय समीर बजे पतरा,झट पाँव बढ़े सजनी धरनी।बात कहूँ सजनी सपने,नित आवत साजन हैं रजनी। फूल खिले भँवरा भ्रमरे,तब आय बसे सजना…
होली चालीसा :-चालीसा हिंदू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा के लिए गायी जाने वाली प्रार्थना होती है। ये प्रार्थनाएँ विशेष रूप से उन देवी-देवताओं को समर्पित की जाती हैं जिन्हें मान्यता है कि उनकी शक्ति और कृपा से भक्तों…
बंधन पर कविता बंधन बांधो ईश से, और सभी बेकार।केवल ब्रह्म सत्य है,पूरा जगत असार।। बंधन केवल प्यार का,होता बड़ा अनूप।स्वार्थ भावना से रहित,होता इसका रूप।। कर्मों का बंधन हमे,बांधे इस संसार।कर्म करें निष्काम तो,होते भव से पार।। मर्यादा में…
रजत विषय पर दोहा रजत वर्ण की चाँदनी,फैल रही चहुँओर।चमक रहा है चंद्रमा, लगे रात भी भोर।। रात अमावस बाद ही , होता पूर्ण उजास।दुग्ध धवल सी पूर्णिमा,करती रजत प्रकाश।। कर्म सभी ऐसा करो , हो जाए जो खास।रजत पट्टिका…
चित्र मित्र इत्र विचित्र पर कविता चित्र रचित कपि देखकर,डरती सिय सुकुमारि।अगम पंथ वनवास में, रहती जनक दुलारि।। मित्र मिले यदि कर्ण सा, सखा कृष्ण सा साथ।विजित सकल संसार भव, बने त्रलोकी नाथ।। गन्धी चतुर सुजान नर, बेच रहे नित…