एक सितारे की मौत
आत्महत्या…आखिर क्यों ???
जून 15, 2020
एक सितारे की मौत
स्पाइडर-मैन मूवी का एक बहुत फेमस डायलॉग है कि “बड़ी ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारियां भी आती है।” समाज में किसी भी क्षेत्र में उच्च स्थान हासिल करने वाले लोग युवाओं के आदर्श होते हैं ,उन्हें देखकर वे प्रेरित होते हैं उनके सपनों को, उड़ानों को हौसला मिलता है। उनका प्रत्येक कदम उन्हें प्रभावित करता है ,वह उनका अनुसरण करते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी होता है कि वह ‘बड़ी ताकत’ के साथ अपनी ‘बड़ी जिम्मेदारी’ को भी समझें, उनका एक गलत कदम न जाने कितने लोगों को गलत दिशाओं की ओर ले जाता है। जब किसी सेलिब्रिटी की मौत होती है तो समाज के एक बड़े वर्ग को प्रभावित करती हैं वह मौत व क्षति व्यक्तिगत ना होकर सामाजिक होती है, उनकी मौत के मायने व्यापक होते हैं और जब यह मृत्यु नैसर्गिक ना होकर आत्महत्या होती हैं तो यह मंथन हेतु मजबूर कर देती है क्योंकि किसी सेलिब्रिटी के पास वह सब कुछ होता है जिसको पाने का सपना एक युवा देखता है नाम,शोहरत पैसा, कामयाबी ,चाहने वाले लोग इन सब के बावजूद आत्महत्या क्यों ?? यह सवाल हम सभी को परेशान करता है और फिर यह निष्कर्ष सामने आता है कि शोहरत,पैसा या सफलता ही सब कुछ नहीं होता बल्कि जीवन को बेहतर बनाने के लिए इन सबके अलावा कुछ और चीज भी चाहिए होता है वह है मन का सुकून, मन की शांति, अच्छे रिश्ते ,अच्छे दोस्त यह सब जीवन में उतनी ही जरूरी है या उससे ज्यादा जरूरी है।
यह किसी सेलिब्रिटी द्वारा की गई इकलौती आत्महत्या नहीं है, इसके पहले भी कई सेलिब्रिटी आत्महत्या कर चुके हैं कई नामी-गिरामी लोग कई आईएएस -आईपीएस ऑफिसर, सेना व पुलिस के जवान की आत्महत्या की खबरें आते ही रहती है।कुछ वर्ष पहले सीसीडी(कैफे कॉफ़ी डे) के मालिक ‘वी.जी. सिद्धार्थ’, बालिका वधू एक्ट्रेस ‘प्रत्यूषा बैनर्जी’, ग़जनी व निःशब्द जैसी बड़ी फिल्मों की नायिका ‘जिया खान’।लॉकडाउन की अवधि में इस सूची में तेजी से इज़ाफ़ा हुआ है मार्च से लेकर अब तक ‘आदत से मजबूर’ फेम ‘मनजीत ग्रेवाल’, क्राइम पेट्रोल अभिनेत्री ‘प्रेक्षा मेहता’, कन्नड़ अभिनेत्री ‘चंदना सेगु’,तेलगु सीरियल अभिनेता ‘प्रदीप’, तमिल अभिनेता ‘श्रीधर’ एवं उनकी बहन जया कल्याणी , सुशांत सिंह राजपूत की एक्स मैनेजर ‘दिशा सालियान’ और अब स्वयं सुशांत सिंह राजपूत । सेलिब्रिटी द्वारा आत्महत्या किए जाने से दरअसल कई सपनों की मौत हो जाती है कइयों की उम्मीद टूट जाती है क्योंकि उनमें से कुछ सेलिब्रिटी युवाओं के आदर्श होते हैं और युवा जब अपने आदर्श को ऐसे टूटते देखते हैं तो वह स्वयं भी टूट जाते हैं उन्हें लगता है कि जब उनके नायक हार मान कर ऐसी राह पर चल पड़े हैं तो कहीं ना कहीं वह भी निराशा के दौर में ऐसे फैसले ले लेते हैं। ध्यान देने वाली बात ये है कि उपरोक्त नामों में से लगभग सारे नाम युवाओं के है। इनमें से लगभग सभी डिप्रेशन के शिकार थे। इसका अर्थ यह है कि युवा जो ऊर्जा से भरा होता है वह भावनात्मक रूप से उतना ही असुरक्षित(वल्नरेबल) होता है। जैसे जैसे समाज में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है भौतिकता की ओर हमारा झुकाव बढ़ता जा रहा है हम भावनात्मक रूप से अधिक कमजोर होते जा रहे है, एकाकीपन आत्मनिर्वासन बढ़ता जा रहा है। यदि समय रहते हमने इस दिशा में सार्थक पहल नहीं की तो हम एक के बाद एक सुशांत जैसे सितारे खोते जाएंगे। अब वक्त है डिप्रेशन पर खुल कर बात करने की, इससे संबंधित जागरूकता फैलाने की। हमें अपने युवाओं को सहेजना होगा, रोजगार की तलाश में घर से दूर रह रहे अपने अपने घर के सितारों को भावनात्मक अलगाव से बचाना होगा।
‘अकेले लोगों को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, वे और अकेले हो जाते है’
©कमल यशवंत सिन्हा
सहायक प्राध्यापक हिंदी
तमनार, छत्तीसगढ़